कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहे ये लोग अब कोरोना के खिलाफ जंग में दे रहे हैं साथ, पुलिस लाइन में बना रहे हैं मास्क

By भाषा | Published: April 13, 2020 03:56 PM2020-04-13T15:56:42+5:302020-04-13T15:56:42+5:30

कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहे दो पूर्व नक्सली मड़कम लख्खा (31) रीना वेक्को (30) आत्मसमर्पण के बाद समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए थे।

Two surrendered Naxals join coronavirus war, make masks in policeline | कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहे ये लोग अब कोरोना के खिलाफ जंग में दे रहे हैं साथ, पुलिस लाइन में बना रहे हैं मास्क

पहले नक्सलियों के लिए वर्दी सिलते थे आज वही मास्क सिल रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमड़कम वर्ष 2008 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था और पिछले साल आत्समर्पण कर दिया था। रीना वर्ष 2018 में नक्सली संगठन को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गई थी।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में जो हाथ पुलिस दल पर गोलीबारी करते थे और नक्सलियों के लिए वर्दी सिलते थे आज वही कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क सिल रहे हैं। राज्य के बस्तर क्षेत्र के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में इन दिनों पुलिस के जवान कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी मास्क सिल रहे हैं और इनकी मदद कर रहे हैं दो पूर्व नक्सली मड़कम लख्खा (31) रीना वेक्को (30)।

कुछ समय पहले मड़कम और रीना नक्सलियों के महत्वपूर्ण दल का हिस्सा थे और वह कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहे हैं। भटके हुए ये नौजवान कुछ समय पहले तक सुरक्षा बलों पर गोलीबारी कर उनकी हत्या करते थे लेकिन आज आत्मसमर्पण के बाद लोगों की बेहतरी के लिए काम रहे हैं। आत्मसमर्पण कर चुके इन नक्सलियों का कहना है कि हिंसा से उन्हें कुछ नहीं मिला। हिंसा दर्द के अलावा कुछ नहीं देती है, लेकिन लोगों की मदद से उन्हें परम सुख मिल रहा है।

मड़कम और रीना सुकमा में पुलिस कर्मियों के साथ लोगों के लिए मास्क सिलने के काम में लगे हुए हैं। मड़कम ने बताया कि अभी तक वह लगभग एक हजार मास्क सिल चुके हैं और आम लोगों के साथ साथ पुलिस कर्मी भी इसका उपयोग कर रहे हैं।

मड़कम वर्ष 2008 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था और पिछले साल अगस्त माह में उसने पुलिस के सामने आत्समर्पण कर दिया था। वह नक्सली संगठन में मिलिशिया कमांडर इन चीफ समेत कई पदों पर रहा है। इसके साथ ही वह नक्सलियों के टेलर टीम का भी मुखिया था जो दक्षिण बस्तर और पड़ोसी राज्य तेलंगाना में नक्सलियों के नेताओं के लिए वर्दी सिलने का काम करता है।

मड़कम ने बताया कि इस लॉकडाउन के दौरान पुलिस के जवान दिन रात मेहनत कर रहे हैं और मास्क सिल रहे हैं। ऐसे में उसने पूर्व में किए गए काम की मदद लेना शुरू किया और इस पुराने कौशल की मदद से पुलिस कर्मियों का हाथ बटाने लगा।  उसने कहा,‘‘ हांलकि यह एक बड़ा योगदान नहीं है लेकिन मुझे खुशी है कि मैं समाज के लिए किसी भी तरह से काम आ रहा हूं।’’

पूर्व नक्सली मड़कम स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर माओवादियों के संदेशों का हिंदी में अनुवाद भी करता है। माओवादी इस क्षेत्र में ज्यादातर स्थानीय बोलियों का उपयोग करते हैं, ऐसे में उनके द्वारा कही गई बातों का हिंदी अनुवाद सुरक्षा बलों के खुफिया तंत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है। पुलिस जवानों के साथ मिलकर मास्क तैयार करने के काम में पूर्व नक्सली रीना भी लगी हुई है।

रीना वर्ष 2018 में नक्सली संगठन को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गई थी। इससे पहले वह ओडिशा छत्तीसगढ़ की सीमा में सक्रिय थी तथा कई नक्सली घटनाओं में शामिल रही है। बंदूक चलाने में माहिर रीना सिलाई का काम नहीं जानती थी। लेकिन हथियार छोड़ चुके नक्सलियों के लिए चलने वाले पुनर्वास कार्यक्रम के दौरान उसने सिलाई का काम सीख लिया था।

रीना बताती है कि वह सब मिलकर प्रतिदिन लगभग दो सौ मास्क सिल लेते हैं। इसके लिए कच्चा माल स्थानीय पुलिस द्वारा प्रदान किया जा रहा है। पुलिस कर्मियों और पूर्व नक्सलियों के योगदान की तारीफ करते हुए बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी कहते हैं कि ये दोनों इस महामारी से निपटने में मदद कर ऐसे अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।

सुंदरराज कहते हैं,‘‘ यह छोटी छोटी चीजें हमें यह उम्मीद देती है कि सब खत्म नहीं हुआ है, अच्छाई अभी बनी हुई है।’’ उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा मुहैया कराए गए मास्क स्थानीय लोगों के बीच मुफ्त में वितरित किए जा रहे हैं।

Web Title: Two surrendered Naxals join coronavirus war, make masks in policeline

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