राफेल सौदे से दो हफ्ते पहले पेरिस गए थे अनिल अंबानी, फ्रांस के रक्षा अधिकारियों से की थी मुलाकात
By स्वाति सिंह | Published: February 12, 2019 09:56 AM2019-02-12T09:56:44+5:302019-02-12T09:56:44+5:30
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फ्रांसीसी कंपनी से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के इस सौदे में कथित घोटाले एवं गड़बड़ी को लेकर सत्तासीन भाजपा और विशेषतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर बने हुए हैं। सत्तारुढ दल ने इन आरोपों को खारिज किया है।
राफेल सौदे की घोषणा से दो हफ्ते पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले थे। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2015 के चौथे सप्ताह में अनिल अंबानी पेरिस गए थे और वहां उन्होंने फ्रांसीसी फ्रांसीसी रक्षा मंत्री जीन वेस ली ड्रायन से मुलाकात की थी।
इस बैठक में ली ड्रायन के विशेष सलाहकार जीन क्लॉड मैलेट भी शामिल थे। हालांकि अंबानी की इस बैठक को सोलोमॉन ने एक यूरोपीय रक्षा कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी को गुप्त और कल्पना के अनुसार बहुत कम समय में प्लान बताया है।
वहीं, जब अंबानी ने फ्रांसीसी रक्षा मंत्री के कार्यालय का दौरा किया था तब यह जानकारी सभी को थी कि पीएम मोदी 9 से 11 अप्रैल, 2015 तक फ्रांस की आधिकारिक यात्रा करेंगे।
इसके बाद अंबानी इस यात्रा के दौरान पीएम के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जहां 36 राफेल विमानों के सौदे की घोषणा मोदी और तत्कालीन फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दोनों पक्षों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में की थी।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान अंबानी उनके प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जहां पीएम मोदी और तत्कालीन फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक संयुक्त बयान जारी कर 36 राफेल विमानों के सौदे की घोषणा की थी।
राफेल विमान सौदे पर कैग की रपट आज संसद में रखेगी सरकार
इस समय राजनीतिक विवाद का केंद्र बने राफेल जेट विमान सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट को सरकार मंगलवार को संसद में रखेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। इस सौदे को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फ्रांसीसी कंपनी से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के इस सौदे में कथित घोटाले एवं गड़बड़ी को लेकर सत्तासीन भाजपा और विशेषतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर बने हुए हैं। सत्तारुढ दल ने इन आरोपों को खारिज किया है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार इस सौदे पर कैग की रपट मंगलवार को संसद के पटल पर रखेगी। मौजूदा 16वीं लोकसभा का वर्तमान सत्र बुधवार को समाप्त हो रहा है और यह संभवत: इसका आखिरी सत्र है। अप्रैल-मई में आम चुनाव के बाद 17वीं लोक सभा का गठन होगा।
कैग की रपट को लेकर पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कुछ सवाल उठाए। उन्होंने इस मामले में हितों के टकराव की बात उठायी है।सिब्बल ने कहा है कि मौजूदा कैग राजीव महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे और इस सौदे से जुड़े थे ऐसे में उन्हें इसकी ऑडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए।
हालांकि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सिब्बल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ‘मनगढ़ंत’ तथ्यों के आधार पर कांग्रेस कैग जैसे संस्थान पर कलंक लगा रही है।
जेटली ने रविवार को ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा, ‘‘ गलत तथ्यों के आधार पर ‘संस्थानों को नुकसान पहुंचाने वाले’ कैग जैसे संस्थान पर हमला कर रहे हैं। सरकार में 10 साल तक रहने के बाद भी संप्रग के मंत्री यह नहीं जानते कि वित्त सचिव ऐसा पद है जो वित्त मंत्रालय में सबसे वरिष्ठ सचिव को दिया जाता है।’’
सिब्बल ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे। इसी बीच में प्रधानमंत्री मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल सौदे पर हस्ताक्षर की घोषणा की।
सिब्बल ने कहा, 'वित्त मंत्रालय ने इस सौदे की बातचीत में अहम भूमिका निभायी। अब यह साफ है कि राफेल सौदा राजीव महर्षि के की निगरानी में हुआ। अब वह कैग के पद पर हैं। हमने उनसे दो बार मुलाकात की 19 सितंबर और चार अक्टूबर 2018 को। हमने उनसे कहा कि इस सौदे की जांच की जानी चाहिए क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन वह खुद के खिलाफ कैसे जांच शुरू कर सकते हैं।'
(भाषा इनपुट के साथ)