कश्मीर में जश्न-ए-बहार का मौसम आने वाला है! ट्यूलिप गार्डन और बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों के फूल देखने चले आईए

By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 3, 2023 12:45 PM2023-03-03T12:45:07+5:302023-03-03T12:47:39+5:30

कड़ाके की सर्दी की विदाई के साथ ही कश्मीर की वादियों में प्रकृति की सुंदरता का एक और मनमोहक दृश्य नजर आने लगा है। ट्यूलिप गार्डन में अगले कुछ दिनों में खूबसूरत फूल नजर आने लगेंगे। वहीं, बादाम के पेड़ों पर फूल समय से पहले ही आ चुके हैं।

Tulip gardern and Badamwadi in Valley of Kashmir starts attracting tourist and March begins | कश्मीर में जश्न-ए-बहार का मौसम आने वाला है! ट्यूलिप गार्डन और बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों के फूल देखने चले आईए

फाइल फोटो

जम्मू: कश्मीर में जश्ने बहार का मौसम आने वाला है। अगर मौसम ने साथ दिया तो आप 15 लाख से अधिक ट्यूलिप के फूलों को अगले कुछ ही दिनों के बाद निहार सकते हैं। वैसे बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों पर फूल समय से पहले आ चुके हैं क्योंकि तापमान बढ़ गया है।

यह बात अलग है कि कोरोना के दो सालों के अरसे के बाद एशिया के दूसरे नम्बर के ट्यूलिप गार्डन में खिले लाखों ट्यूलिप फूलों को निहारने के लिए पिछले साल लाइनें लगीं थीं। कोरोना के दो सालों के अरसे में हालत तो यह थी कि उन्हें निहारने वाला कोई नहीं था। यही हालत बादामबाड़ी की थी जहां बादाम के पेड़ों पर आई बहार को कोरोना की दहशत लील चुकी थी पर अब ऐसा नहीं है। 

बादामबाड़ी में बादामों के पेड़ों पर फूल मार्च के शुरू में ही आने लगते हैं और ट्यूलिप गार्डन में मार्च के अंतिम सप्ताह में। अब तो दोनों ही जगह सिर्फ स्थानीय कश्मीरियों की ही नहीं बल्कि आने वाले पर्यटकों की भरमार होने लगी है। हालांकि जश्ने बहार को सामान्य से अधिक का तापमान डरा जरूर रहा है।

ट्यूलिप गार्डन

डल झील का इतिहास तो सदियों पुराना है पर ट्यूलिप गार्डन का मात्र 15 साल पुराना है। मात्र 15 साल में ही यह उद्यान अपनी पहचान को कश्मीर के साथ यूं जोड़ लेगा कोई सोच भी नहीं सकता था। डल झील के सामने के इलाके में सिराजबाग में बने ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप की 65 से अधिक किस्में आने-जाने वालों को अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रहती हैं। यह आकर्षण ही है कि लोग बाग की सैर को रखी गई फीस देने में भी आनाकानी नहीं करते। जयपुर से आई सुनिता कहती थीं कि किसी बाग को देखने का यह चार्ज ज्यादा है पर भीतर एक बार घूमने के बाद लगता है यह तो कुछ भी नहीं है।

सिराजबाग हरवान-शालीमार और निशात चश्माशाही के बीच की जमीन पर करीब 700 कनाल एरिया में फैला हुआ है। यह तीन चरणों का प्रोजेक्ट है जिसके तहत अगले चरण में इसे 1360 और 460 कनाल भूमि और साथ में जोड़ी जानी है।  शुरू-शुरू में इसे शिराजी बाग के नाम से पुकारा जाता था। असल में महाराजा के समय उद्यान विभाग के मुखिया के नाम पर ही इसका नामकरण कर दिया गया था।

बादामबाड़ी

एक जमाने में धूम मचाने वाला यह ऐतिहासिक बाग तकरीबन 27 साल तक सही देखरेख न मिलने के कारण अपनी साख खो चुका था, यहां तक कि उस समय की सरकार की गलत नीतियों के कारण बादामवाड़ी जो 309 वर्ष पहले 750 कनाल जमीन पर फैली थी सिमटते-सिमटते केवल 280 कनाल तक ही सीमित रह गई क्योंकि सरकार ने वहां पर तिब्बती कालोनी का निर्माण किया। इसको नए सिरे से सजाने संवारने के लिए जेके बैंक ने इसके निर्माण की जिम्मेदारी संभाली थी। वर्ष 2006 में इसका दोबारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था।

तकरीबन 280 कनाल तक फैले हुए इस बाग को बड़ों के साथ-साथ बच्चों के आकर्षण के हर सामान से सजाया गया है। जिसमें एक किमी लंबा जौगर, तकरीबन तीस मीटर ऊंचा बादाम के आकार का फव्वारा भी शामिल है। इस अवसर पर यादें ताजा करते हुए लोगों का कहना था कि बादामवाड़ी केवल एक पर्यटन ही नहीं, बल्कि इसके साथ हमारा इतिहास भी जुड़ा है। यह जगह हमारी परंपरा का प्रतीक भी है।

Web Title: Tulip gardern and Badamwadi in Valley of Kashmir starts attracting tourist and March begins

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