पुलवामा हमले के बाद जवानों का जबरदस्त एक्शन, 4 सालों में तोड़ कर रख दी आतंकवाद की कमर

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 9, 2023 03:49 PM2023-02-09T15:49:43+5:302023-02-09T15:50:56+5:30

बेशक पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त झेलनी पड़ी हैं पर अभी भी वह साजिशें रच रहा है। उसके कुछ पैरोकारी कश्मीर में नई पीढ़ी के मन में जहर भर रहे हैं।

Tremendous action of jawans after Pulwama attack, broke the back of terrorism in 4 years | पुलवामा हमले के बाद जवानों का जबरदस्त एक्शन, 4 सालों में तोड़ कर रख दी आतंकवाद की कमर

फाइल फोटो

Highlightsपुलवामा हमले के चार साल बाद बदली आतंकवाद की तस्वीर जम्मू-कश्मीर में जवानों ने आतंकियों पर कसा शिकंजाजवानों की कार्रवाई के कारण घाटी में आतंकवाद को पनाह नहीं मिल पा रही है।

पुलवामा: जम्मू-कश्मीर में हुए पुलवामा हमले के 4 साल बाद कश्मीर में जमीनी हकीकत बदल चुकी है। कश्मीर में इस अवधि में अभी तक 800 आतंकी मारे जा चुके हैं और 1,504 पकड़े गए। आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क तबाह हो चुका है। हालत यह है कि वादी में जैशे मुहम्मद, लश्कर ए तैयबा व हिजबुल मुजाहिदीन की कमान संभालने को कोई आतंकी कमांडर तैयार नहीं है। इतना जरूर था कि पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा जरूर पूरी तरह से बदल गया है जो अब सोशल मीडिया और ड्रोन से ही संचालित हो रहा है।

बेशक पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त झेलनी पड़ी हैं पर अभी भी वह साजिशें रच रहा है। उसके कुछ पैरोकारी कश्मीर में नई पीढ़ी के मन में जहर भर रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। सुरक्षाबल खास रणनीति पर काम कर रहे हैं और 380 युवाओं को मुख्यधारा में लाया भी गया है। कश्मीर के दूरदराज क्षेत्रों में युवाओं व किशोरों को गुमराह किया जा रहा।

दरअसल, आतंकी संगठन इस समय पूरी तरह हताश हैं। आतंकी कोई बड़ी वारदात नहीं कर पा रहे हैं। लगभग सभी प्रमुख कमांडर मारे जा चुके हैं। ऐसे में वह आत्मघाती हमले को अंजाम देकर हालात बिगाड़ने और अफरा-तफरी फैलाने का विकल्प अपना सकते हैं। बीते कुछ सालों के दौरान कई नौजवानों में धर्मांध जिहादी मानसिकता पैदा हुई है। सुरक्षाबल चिंता जताते थे कि उनमें से कुछ आत्मघाती बन सकते हैं। उन्हें सोशल मीडिया द्वारा उकसाया जरूर जा रहा था।

कश्मीर में सुरक्षाबलों ने इन 4 सालों के दौरान आतंकी नेटवर्क की लगभग कमर तोड़ दी है। प्रमुख आतंकी कमांडर मारे जा चुके हैं या पकड़े गए हैं, लेकिन आज भी आत्मघाती हमलों की आशंका बनी हुई है। घाटी में पांच से छह स्थानीय आत्मघातियों की मौजूदगी का सूत्र दावा करते हैं। इनमें एक भी नहीं पकड़ा गया है। पुलवामा हमले में आत्मघाती हमलावर आदिल डार की मौत के बाद खुफिया सूत्रों ने अपने तंत्र से पता लगाया था कि कश्मीर में जैश ने सात स्थानीय लड़कों को आत्मघाती हमलों के लिए तैयार किया है। 

अहम सुराग से सभी सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई थी। ऐसे हमलों में स्थानीय आतंकी कभी कभार हिस्सा लेते थे। कश्मीर में पहले आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाला आतंकी आफाक स्थानीय था। श्रीनगर के डाउन-टाउन के आफाक ने 2000 के दौरान विस्फोटकों से लदी कार के साथ बादामीबाग सैन्य शिविर के गेट पर हमला किया था। कई बार आत्मघाती हमले कश्मीर में हुए, लेकिन उनमें स्थानीय आतंकियों की भागीदारी नहीं थी। किसी इमारत में घुसकर या किसी सुरक्षा शिविर में हमला करने वाले आत्मघाती हमले में दो से तीन बार स्थानीय आतंकी शामिल रहे पर वर्ष 2000 के बाद पुलवामा हमले में खुद को उड़ाने का पुलवामा का मामला पहला था।

Web Title: Tremendous action of jawans after Pulwama attack, broke the back of terrorism in 4 years

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