Tokyo Olympic 2020 : भवानी देवी ने ओलंपिक में रचा इतिहास, भारत की ओर से जीता पहला फेंसिंग मैच
By दीप्ती कुमारी | Published: July 26, 2021 08:08 AM2021-07-26T08:08:15+5:302021-07-26T08:12:02+5:30
टोक्यो ओलंपिक में भारत की ओर से सीए भवानी देवी ने अपना पहला फेंसिंग मैच जीतकर इतिहास रच दिया है । ऐसा करने वाली वह पहली खिलाड़ी है । उन्होंने ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजीजी को 15-3 से हराकर यह जीत हासिल की ।
टोक्यो : ओलंपिक में भारत की ओर से पहली फेंसर सीए भवानी देवी ने अपने पहले ही मैच में बढ़ती बना ली है । साथ ही उन्होंने ओलंपिक में भारत को फेंसिंग में पहली जीत दिलाकर एक नया इतिहास रच दिया है ।
ट्यूनिशिया की नादिया बेन अजीजी को दी मात
आपको बताते दें कि भारतीय तलवारबाज भवानी देवी ने अपने ओलंपिक पदार्पण पर आत्मविश्वास भरी शुरुआत की और सोमवार को यहां टोक्यो खेलों में महिलाओं की व्यक्तिगत साबरे स्पर्धा में ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजीजी को 15-3 से हराकर दूसरे दौर में प्रवेश किया। ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज भवानी ने शुरू से ही आक्रामक रवैया अपनाया। उन्होंने अजीजी के खुले ‘स्टांस’ का फायदा उठाया। इससे उन्हें अंक बनाने में मदद मिली।
Our star fencer @IamBhavaniDevi begins her Olympic journey with a convincing 15-3 victory over Ben Azizi N and advances to the Table of 32.#Tokyo2020#Fencing#Cheer4Indiapic.twitter.com/MmDNQJ7ANx
— SAIMedia (@Media_SAI) July 26, 2021
फ्रांस की मैनन ब्रूनेट से है अगली टक्कर
सत्ताईस वर्षीय भवानी ने तीन मिनट के पहले पीरियड में एक भी अंक नहीं गंवाया और 8-0 की मजबूत बढ़त बना ली। नादिया ने दूसरे पीरियड में कुछ सुधार किया लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने अपनी बढ़त मजबूत करनी जारी रखी तथा छह मिनट 14 सेकेंड में मुकाबला अपने नाम किया । आपको बताते दे कि जो भी तलवारबाज पहले 15 अंक हासिल करता है उसे विजेता घोषित किया जाता है। भवानी को अगले दौर में फ्रांस की मैनन ब्रूनेट की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा जो रियो ओलंपिक में सेमीफाइनल में पहुंची थी ।
29 वर्षीय भवानी देवी को अपने अगले मैच में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा क्योंकि फ्रांस की वर्ल्ड नंबर 3 और चौथी सीड मानोन ब्रुनेट से उनका मुकाबला है । यह बाउट सोमवार को सुबह 7:30 बजे आईएसटी से शुरू होगा ।
भवानी के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था । आर्थिक हालात खराब होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और ओलंपिक तक का सफर तय किया । उन्होंने अपना ज्यादातर प्रशिक्षण इटली से पूरा किया है ।