राम मंदिर कंस्ट्रक्शन साइट की जमीन के नीचे नहीं रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, पढ़ें ट्रस्ट ने क्या दिया पूरा बयान
By पल्लवी कुमारी | Published: July 28, 2020 02:22 PM2020-07-28T14:22:41+5:302020-07-28T14:22:41+5:30
पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए होने वाले भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही देश की प्रमुख हस्तियों के शामिल होने की संभावना है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार (25 जुलाई) को अयोध्या का दौरा किया था।
नई दिल्ली:अयोध्या में आगामी पांच अगस्त को प्रस्तावित राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। भूमि पूजन के लिए पवित्र नदियों का जल और तीर्थ स्थलों की पवित्र मिट्टी लाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास करेंगे। इसी बीच कई मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि 5 अगस्त को राम मंदिर कंस्ट्रक्शन साइट की जमीन के नीचे टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने टाइम कैप्सूल रखे जाने की बात को गलत और अफवाह बताया है।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि 5 अगस्त को राम मंदिर कंस्ट्रक्शन साइट की जमीन के नीचे टाइम कैप्सूल रखे जाने की खबर गलत है और मनघड़ंत है। मैं सबसे आग्रह करूंगा कि जब राम जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से कोई अधिकारिक बयान आए तो उसे ही आप सही मानें।
All reports about placing of a time capsule under the ground at Ram Temple construction site on 5th August are false. Do not believe in any such rumour: Champat Rai, General Secretary, Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust https://t.co/tAaZWsuJWnpic.twitter.com/HQ4CkZ9Ob9
— ANI (@ANI) July 28, 2020
हालांकि राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने रविवार (26 जुलाई) को कहा था कि राम मंदिर निर्माण स्थल पर जमीन में लगभग 2000 फीट नीचे एक कैप्सूल रखा जाएगा। ताकि भविष्य में जो कोई भी मंदिर के इतिहास के बारे में अध्ययन करना चाहता है, वह केवल राम जन्मभूमि से संबंधित तथ्य प्राप्त करेगा।
जानिए टाइम कैप्सूल क्या होता है?
दुनिया में टाइम कैप्सूल का अतीत सैकड़ों साल पुराना माना जाता है। भारत में ही नहीं विदेशों में भी इसका काफी प्रचलन रहा है। टाइम कैप्सूल एक खास तरह का कंटेनर होता है। इसे कुछ इस तरह बनाया जाता है कि वो हजारों साल तक जमीन में रहने के बावजूद खराब नहीं हो। इस कंटेनर में जानकारियां दर्ज करके रख दी जाती हैं।
स्पेन में साल 2017 में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल मिला था। ये ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। इसके अंदर एक दस्तावेज था, जिसमें साल 1777 के करीब की आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक सहित कुछ और सूचनाएं दर्ज थीं।
ऐसा कहते हैं कि लाल किले के नीचे भी 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल रखवाया था। इसे लेकर तब राजनीतिक हलकों में खूब हंगामा हुआ था।
बाद में 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार आई तो इसे निकाला गया। हालांकि, ये जानकारी नहीं मिल सकी कि उसमें क्या दर्ज था और अब वो कहां है। इस टाइम कैप्सूल को लेकर 2012 में भी हंगामा मचा था जब मधु किश्वर ने इस बारे में जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी थी। हालांकि तब पीएमओ की ओर से ये बताया गया कि उसके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
राम मंदिर निर्माण के आरंभ पर अयोध्या के मंदिरों से दीप जलाकर खुशी मनाने को कहा गया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के सभी मंदिरों से भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण की शुरुआत का उत्सव मनाने के लिए चार और पांच अगस्त को मंदिर परिसरों की अच्छी तरह सफाई करके दीप जलाने को कहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार (25 जुलाई) को अयोध्या का दौरा किया था और शिलान्यास समारोह की तैयारियों का जायजा लिया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्यों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को अयोध्या आकर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर सकते हैं।
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के मुताबिक, ''कोविड-19 महामारी के मद्देनजर शिलान्यास का कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय के सभी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित किया जाएगा। इस धार्मिक अनुष्ठान में चुनिंदा लोग ही शामिल होंगे और अन्य लोग लाइव टेलिकास्ट के माध्यम से सहभागी होंगे।''
कैसा होगा राम मंदिर
ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया, राम मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा और इसमें 3 की जगह अब 5 गुंबद बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का मॉडल विश्व हिंदू परिषद का ही रहेगा, लेकिन उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि इसको बनने में तीन से साढ़े तीन साल का वक्त लगेगा।
वहीं, मंदिर के स्वरूप के संबंध में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अध्यक्ष कुमार ने बताया, ''मंदिर के मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि इसमें थोड़ा विस्तार किया गया है। पहले मंदिर के स्वरूप में भूतल और दो मंजिलों का प्रस्ताव था, लेकिन अब इसे तीन मंजिला करने की योजना है। इसके अलावा मंडपों की संख्या भी तीन से बढ़ाकर पांच की जाएगी। सब कुछ ठीक-ठाक रहा ,तो अगले 3 वर्ष में मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा।''