अब तीन जजों की बेंच करेगी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35-ए को संविधान पीठ को सौंपने का फैसला
By भाषा | Published: August 6, 2018 08:26 PM2018-08-06T20:26:04+5:302018-08-06T20:26:04+5:30
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि शीर्ष अदालत को यह विचार करना होगा कि क्या अनुच्छेद 35-ए संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है।
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर के निवासियों को विशेष अधिकार और सुविधायें प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन सदस्यीय पीठ निर्णय करेगी कि क्या इसे संविधान पीठ को यह विचार करने के लिये सौंपा जाये कि इससे संविधान के बुनियादी ढांचे का कथित उल्लंघन हो रहा है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने आज इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि इस पीठ के तीसरे सदस्य न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ अवकाश पर थे। इन याचिकाओं पर 27 अगस्त से शुरू हो रहे सप्ताह के दौरान सुनवाई की जायेगी।
संविधान के अनुच्छेद 35-ए को लेकर जम्मू कश्मीर में हो रहे विरोध के परिप्रेक्ष्य में आज यह मामला पीठ के समक्ष आने पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त् सालिसीटर जनरल तुषार मेहता, वकील डी सी राणा और वकील शोएब आलम ने स्थानीय निकायों के चुनावों को देखते हुये सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने राज्य सरकार के इस कथन का समर्थन किया।
दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध का जोरदार विरोध किया। पीठ ने जब स्पष्ट किया किया कि इसकी सुनवाई करने वाली पीठ के सदस्यों की पर्याप्त संख्या नहीं होने की वजह से इसे आज नहीं लिया जा सकता तो याचिकाकर्ताओं ने इस पर यथाशीघ्र विचार करने का आग्रह किया।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक बार जब आपने अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे दी है तो तीन न्यायाधीशों की पीठ फैसला करेगी कि क्या इसे संविधान पीठ के पास भेजा जाना है। तीन न्यायाशीशों की पीठ ही यह तय करेगी। तीन न्यायाधीशों की पीठ ही इस पर गौर कर रही थी।’’
पीठ ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 145 के अंतर्गत संविधान के किसी भी प्रावधान की वैधता को दी गयी चुनौती पर वृहद पीठ द्वारा ही विचार करने की आवश्यकता है। राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव सितंबर में होने की संभावना है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शीर्ष अदालत को यह विचार करना होगा कि क्या अनुच्छेद 35-ए संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है।
जम्मू कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधायें प्रदान करने वाला अनुच्छेद 35-ए राष्ट्रपति के आदेश से 1954 में संविधान में शामिल किया गया था। यह अनुच्छेद राज्य के बाहर के लोगों पर इस राज्य में कोई भी अचल संपति हासिल करने पर प्रतिबंध लगाता है। इसी तरह, यह अनुच्छेद राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति के अधिकारों से वंचित करता है। संपत्ति पर अपना अधिकार खोने वाली महिलाओं के उत्तराधिकारियों पर भी यह प्रावधान लागू होता है।
राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा बरकरार रखने के पक्ष में अनेक लोगों और समूहों ने भी अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में आवेदन दायर किये हैं।
शीर्ष अदालत जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 35-ए को निरस्त करने के लिये गैर सरकारी संगठन ‘‘वी द सिटीजन्स’’ सहित अनेक व्यक्तियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।