आतंकियों की धमकी के बाद कश्मीर से भागे हजारों प्रवासी, कुछ को सुरक्षित कैंपों में रखा गया

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 19, 2021 04:10 PM2021-10-19T16:10:10+5:302021-10-19T16:11:17+5:30

कश्मीर में तकरीबन साढ़े तीन लाख प्रवासी नागरिक हैं। इनमें से कई पिछले 10 से 15 सालों से भी रह रहेे हैं। पांच अगस्त 2019 को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद ये सभी घर चले गए थे।

thousands of migrants fled from kashmir after threats from terrorists some were kept in safe camps | आतंकियों की धमकी के बाद कश्मीर से भागे हजारों प्रवासी, कुछ को सुरक्षित कैंपों में रखा गया

आतंकियों की धमकी के बाद कश्मीर से भागे हजारों प्रवासी, कुछ को सुरक्षित कैंपों में रखा गया

जम्मू। आतंकी गुटों द्वारा कश्मीर छोड़ने की धमकी के बाद हजारों प्रवासी नागरिक घाटी से भाग निकले हैं। वहीं हजारों को सेना, पुलिस इत्यादि ने सुरक्षित कैंपों में शरण दी है। हालांकि सैकड़ों प्रवासी अपने मकान मालिक से मिले सुरक्षा आश्वासन के बाद कश्मीर में ही रह रहे हैं।

कश्मीर में तकरीबन साढ़े तीन लाख प्रवासी नागरिक हैं। इनमें से कई पिछले 10 से 15 सालों से भी रह रहेे हैं। पांच अगस्त 2019 को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद सभी घरों को भाग गए थे। तब उनका पलायन सरकारी था क्योंकि सरकार को आशंका थी कि धारा 370 हटाए जाने पर कश्मीर में आग भड़क उठेगी और ये प्रवासी नागरिक उसका नर्म निशाना हो सकते हैं।

वक्त के साथ साथ इनका लौटना आरंभ हुआ पर पिछले दो से तीन महीनों के भीतर उन्हें दोबारा निशाना बनाए जाने लगा है। कश्मीर में 30 सालों से फैले आतंकवाद के इतिहास में कई बार आतंकियों ने प्रवासी श्रमिकों को सामूहिक तौर पर निशाना बनाया था। पर यह पहली बार है कि वे श्रीनगर के राजधानी शहर में प्रवासियों को चुन-चुन कर मार रहे हैं। इससे वे साफ संदेश देना चाहते हैं कि वे जहां चाहे वहां मार कर सकते हैं।

तीस सालों के आतंकवाद के दौरान प्रवासी नागरिकों को कश्मीर से कितनी बार भागना पड़ा है। अब यह गिनती भी लोग भूल गए हैं। लेकिन कश्मीरी नागरिक इसे नहीं भूल पाते हैं कि उनके वापस अपने घरों को लौट जाने के कारण उन्हें परेशानियों और दुश्वारियों के दौर से गुजरना पड़ा है और कश्मीर में सभी विकास गतिविधियां उनके पलायन कर जाने से रुक जाती रही हैं। इस बार भी उनके घरें को लौटने के तेज होते क्रम से आम कश्मीरी परेशान हैं।

हत्याओं से उद्योगों पर भी प्रभाव नजर आने लगा है। यही कारण है कि सैकड़ो प्रवासी नागरिकों को अपने स्वार्थ के लिए कश्मीरी व्यापारी, उद्योगपति और मकान मालिक उन्हें सुरक्षा का आश्वान देते हुए रोक पाने में कामयाब तो हुए हैं पर वे अब अपनी सुरक्षा को लेकर खुद दहशत में हैं क्योंकि आतंकी गुट यह चेतावनी दे रहे हैं कि प्रवासी नागरिकों को शरण देने वालों को भी अंजाम भुगतना होगा।

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