जिनको हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहें थे, वो आज उग्रवादी साबित हुए: संबित पात्रा

By भाषा | Published: January 26, 2021 10:43 PM2021-01-26T22:43:23+5:302021-01-26T22:43:23+5:30

Those whom we were calling Annadata for so many days, they proved to be extremists today: Sambit Patra | जिनको हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहें थे, वो आज उग्रवादी साबित हुए: संबित पात्रा

जिनको हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहें थे, वो आज उग्रवादी साबित हुए: संबित पात्रा

नयी दिल्ली, 26 जनवरी तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड मंगलवार को हिंसक हो जाने के बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि जिन्हें अभी तक ‘‘अन्नदाता’’ समझा जा रहा था वे आज ‘‘उग्रवादी’’ निकले।

पात्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘जिनको हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहें थे, वो आज उग्रवादी साबित हुए। अन्नदाताओं को बदनाम न करो, उग्रवादियों को उग्रवादी ही बुलाओ!!’’

भाजपा प्रवक्ता ने इसके साथ ही एक वीडियो साझा किया जिसमें एक प्रदर्शनकारी कथित तौर पर तिरंगा झंडा फेंकते हुए देखा जा रहा है। दरअसल वह जब स्तंभ पर चढ़ता दिख रहा है तो उसे भीड़ में से एक व्यक्ति तिरंगा झंडा थमाता है लेकिन वह उसे फेंक देता है और एक अन्य झंडा हाथ में ले लेता है।

पात्रा ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘दुखद।’’

भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने सवाल उठाया कि भीड़ में शामिल लोगों को आतंकवादी क्यों नहीं कहा जाना चाहिए।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘शर्मनाक है ये। हमारे बहादुर जवान भीड़ से खुद को बचाने के लिए दीवार से नीचे कूद रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने पूरी सहनशीलता बरती। इस भीड़ को आप क्या कहेंगे...आंदोलनकारी किसान? असामाजिक तत्वों का समूह या आतंकवादी? आप निर्णय करें।’’

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों के इस व्यवहार की निंदा की।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिस तरीक़े से उपद्रवी तत्वों द्वारा आंदोलन के आड़ में अपराध किया गया वह किसी भी क़ीमत पर स्वीकार्य नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी इस प्रकार के व्यवहार की आलोचना करती है।’’

उल्लेखनीय है कि लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। लालकिले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए।

गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। किसानों को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के बाद तय मार्ग पर ट्रैक्टर परेड़ की अनुमति दी गई थी, लेकिन इन शर्तों का उल्लघंन हुआ। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शनकारियों के इन समूहों में अनेक युवा थे जो मुखर और आक्रामक थे।

पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

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