लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक गिरफ्तार करने वाला ये अफसर आज है मोदी सरकार में मंत्री
By एस पी सिन्हा | Published: November 25, 2018 02:49 PM2018-11-25T14:49:35+5:302018-11-25T14:49:35+5:30
केन्द्रीय गृह सचिव के तौर पर उन्होंने मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में विस्फोटों के जांच की निगरानी की थी। लेकिन आज यह बात शायद हीं किसी को याद हो। वैसे उनके रिटायरमेंट के बाद बिहार में नीतीश कुमार ने उन्हें अपना प्रमुख सलाहकार बनाना चाहा था, लेकिन तब उन्होंने उसे ठुकराते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
अयोध्या में आज राम मंदिर के निर्माण को लेकर गहमागहमी है। लेकिन यह शायद हीं किसी को याद हो कि 1990 में राम मंदिर बनाने के लिए देशभर में रथ यात्रा निकालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को तब गिरफ्तार कर उनके रथ यात्रा को रोकने वाले आरके सिंह आज केन्द्र सरकार में मंत्री हैं।
यहां बता दें कि 1990 में 30 अक्टूबर को इस रथ को अयोध्या पहुंचना था, लेकिन बिहार के समस्तीपुर में लालू यादव ने 23 अक्टूबर को ही न केवल रथ यात्रा रुकवा दिया, बल्कि आडवाणी को गिरफ्तार भी करवा लिया था। उन्हें गिरफ्तार कर उनके रथ यात्रा का हवा निकालने वाले तब के अधिकारी आरके सिंह हीं थे, जो आज केन्द्र में मोदी सरकार में उर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।
भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद पहली बार आरके सिंह का नाम सुर्खियों में आया था। 64 वर्षीय आरके सिंह 1975 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और अपने रिटायरमेंट के बाद 2013 में भाजपा में शामिल हुए थे। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पहले धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त अफजल अमानुल्लाह को निर्देश दिया था कि वो आडवाणी को वहीं गिरफ्तार कर लें।
लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए अधिकारियों का एक दल पटना से भेजा गया, उसका नेतृत्व आईएएस अधिकारी आरके सिंह ने किया था। तब आरके सिंह कडे तेवर के अधिकारी माने जाते थे, जो बाद में केंद्र के गृह सचिव भी बने। फिलहाल वो आरा से भाजपा सांसद हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार का उर्जा राज्य मंत्री बनाया गया है।
उनके पास नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार भी है। आरके सिंह बिहार के साथ ही केंद्र में भी कई पदों पर रह चुके हैं। वह यूपीए सरकार में रक्षा उत्पादन के सचिव और आडवाणी के गृह मंत्री रहने के दौरान मंत्रालय में संयुक्त सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं।
उनके केन्द्रीय गृह सचिव रहने के दौरान ही मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी अजमल कसाब और संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई थी।
केन्द्रीय गृह सचिव के तौर पर उन्होंने मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में विस्फोटों के जांच की निगरानी की थी। लेकिन आज यह बात शायद हीं किसी को याद हो। वैसे उनके रिटायरमेंट के बाद बिहार में नीतीश कुमार ने उन्हें अपना प्रमुख सलाहकार बनाना चाहा था, लेकिन तब उन्होंने उसे ठुकराते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।