बिहार का यह 28 वर्षीय युवा कभी नमकीन फैक्ट्री में करता था काम, अब बना भारतीय सेना का अधिकारी

By अनुराग आनंद | Published: December 13, 2020 02:15 PM2020-12-13T14:15:16+5:302020-12-13T14:22:13+5:30

भारतीय मिलिट्री अकैडमी (IMA) से शनिवार को ग्रेजुएट हुए बालबांका बिहार के आरा जिले के निवासी हैं। एक किसान के बेटे तिवारी के अनुसार विश्वास और दृढ़ता की बदौलत ही वह आज यहां तक पहुंचे हैं।

This 28-year-old youth from Bihar used to work in Namkeen Factory, now an officer of Indian Army | बिहार का यह 28 वर्षीय युवा कभी नमकीन फैक्ट्री में करता था काम, अब बना भारतीय सेना का अधिकारी

भारतीय सेना के अधिकारी (सोशल मीडिया फोटो)

Highlightsउन्होंने कहा, '12वीं क्लास के बाद मैं आरा से ओडिशा के राउरकेला में चला गया।नमकीन फैक्ट्री में 50 रुपये के दिहाड़ी पर काफी समय तक बालबांका तिवारी ने काम किया।

नई दिल्ली: बिहार के रहने वाले एक 28 वर्षीय लड़के ने कमाल कर दिखाया है। कभी 50 रुपये की दिहाड़ी पर काम करने वाले 28 साल के बालबांका तिवारी अपने शरीर पर सेना अफसर की वर्दी देखकर भावुक हो गए। वहीं, भारतीय सेना में अपने बेटे को सिपाही से ऑफिसर बनता देखकर मां मुन्नी देवी की आंखें भर आईं। 

इंडिया टाइम्स के रिपोर्ट मुताबिक, वह उन दिनों को याद करने लगी, जब उनके बेटे को परिवार की आय को सहारा देने के लिए 16 साल की उम्र से ही काम शुरू करना पड़ा था। वह 50 से 100 रुपये के लिए दिन में 12 घंटे काम करते थे।

भारतीय मिलिट्री अकैडमी (IMA) से शनिवार को ग्रेजुएट हुए बालबांका बिहार के आरा जिले के निवासी हैं। एक किसान के बेटे तिवारी के अनुसार विश्वास और दृढ़ता की बदौलत ही वह आज यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, '12वीं क्लास के बाद मैं आरा से ओडिशा के राउरकेला में चला गया। मैंने लोहे की फैक्ट्री में काम करना शुरू किया। फिर नमकीन फैक्ट्री में जुड़ गया। हालांकि मैंने अपनी शिक्षा जारी रखी और ट्यूशन लेता रहा।'

भारतीय सेना में सिपाही रह चुके हैं तिवारी

बता दें कि सेना में अफसर बनने से पहले बालबांका तिवारी सेना में सिपाही रह चुके हैं। तिवारी ने 2012 में भोपाल के EME सेंटर में अपने दूसरे प्रयास में ही परीक्षा पास किया। अगले पांच सालों में सिपाही के तौर पर कार्य करते हुए तिवारी ने आर्मी कैडेट कॉलेज के लिए तैयारी जारी रखी और 2017 में उन्हें सफलता मिल गई। तिवारी ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि अब बतौर अधिकारी देश की सेवा करने का अवसर मिलेगा।'

अब पिता पूरे गांव में सबको इस सफलता की दास्तान बताएंगे

बालबंका तिवारी को आर्मी में जाने की प्रेरणा एक रिश्तेदार से मिली। उन्होंने बताया, 'उन्हें गांव में मिलने वाली इज्जत से मैं अभिभूत था। मैंने आर्मी में शामिल होने के सपने को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा। अब मेरे पिता सुबह अखबार में खबर देखेंगे और पूरे गांव में सबको इस सफलता की दास्तान बताएंगे।'

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