राजस्थान में भी शराबबंदी हो सकती है, बशर्ते बिहार का रिपोर्ट कार्ड पाॅजिटिव हो?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 8, 2019 07:38 PM2019-12-08T19:38:49+5:302019-12-08T19:38:49+5:30
गुजरात की तरह शराबबंदी बिहार में भी है और इसीलिए वहां की प्रायोगिक व्यवस्थाएं और परिणाम जानने के लिए एक टीम, जिसका गठन सीएम ने किया है
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत व्यक्तिगत तौर पर गांधीवादी विचारों के कारण शराबबंदी के समर्थक हैं, लेकिन इसके फायदे-नुकसान जाने बगैर वे इस दिशा में जल्दीबाजी में कदम नहीं बढ़ाएंगे.
कुछ समय पहले एक समारोह में उनका कहना था कि इसे एक बार प्रतिबंधित कर दिया गया था, परंतु यह प्रयास विफल रहा और प्रतिबंध हटा दिया गया.
यही नहीं, गुजरात में शराब पर प्रतिबंध के मुद्दे पर तो उन्होंने प्रायोगिक प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा था कि शराबबंदी के बावजूद वहां सबसे ज्यादा खपत हो रही है, इसलिए प्रभावी प्रायोगिक प्रतिबंध के बगैर शराबबंदी का कोई मतलब नहीं है.
बहरहाल, गुजरात की तरह शराबबंदी बिहार में भी है और इसीलिए वहां की प्रायोगिक व्यवस्थाएं और परिणाम जानने के लिए एक टीम, जिसका गठन सीएम ने किया है, इसी माह बिहार जाएगी.
यह टीम बिहार में शराबबंदी के असर को जानने के साथ-साथ लागू करने के तौर-तरीके और फायदे-नुकसान की जानकारी भी लेगी, कि इससे अपराधों पर क्या असर पड़ा, सरकारी आय कितनी प्रभावित हुई, यह कमी कैसे पूरी की जा सकती है, पर्यटन जैसे उद्योगों पर क्या प्रभाव रहा और खासतौर पर जनजीवन में कितना बदलाव आया.
आंकड़ों पर भरोसा करें तो दस प्रतिशत से ज्यादा लोग शराब नियमितरूप से पीते हैं, जबकि करीब बीस प्रतिशत मौतें शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती हैं, लेकिन सरकार के पास यह आय का अच्छा आधार है, लिहाजा बिहार, गुजरात, नागालैंड, लक्षद्वीप जैसे कुछ ही प्रदेशों में शराबबंदी है.
जिन राज्यों में शराबबंदी है, वहां भी सरकार को तो प्रत्यक्ष नुकसान हो रहा है, किन्तु परोक्षरूप से शराब की तस्करी से जुड़ा कारोबार लगातार बढ़ता रहा है.