सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जल्द से जल्द दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का काम शुरू करो
By भाषा | Published: July 12, 2019 06:29 PM2019-07-12T18:29:25+5:302019-07-12T18:29:25+5:30
चौथे चरण में मेट्रो के विस्तार से इसमें करीब 18.6 लाख सवारियों की रोजाना वृद्धि होने का अनुमान है। दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण में छह गलियारे-एयरोसिटी से तुगलकाबाद, इंदरलोक से इन्द्रप्रस्थ, लाजपत नगर से साकेत जी ब्लाक, मुकुन्दपुर से मौजपुर, जनकपुरी वेस्ट से आर के आश्रम और रिठाला से बवाना और नरेला-होंगे।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार द्वारा अपनी सहमति दिये जाने के बाद शुक्रवार को मेट्रो के चौथे चरण में एक सौ किलोमीटर से अधिक लंबे नेटवर्क के निर्माण का काम शुरू करने का आदेश दिया।
चौथे चरण में मेट्रो के विस्तार से इसमें करीब 18.6 लाख सवारियों की रोजाना वृद्धि होने का अनुमान है। दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण में छह गलियारे-एयरोसिटी से तुगलकाबाद, इंदरलोक से इन्द्रप्रस्थ, लाजपत नगर से साकेत जी ब्लाक, मुकुन्दपुर से मौजपुर, जनकपुरी वेस्ट से आर के आश्रम और रिठाला से बवाना और नरेला-होंगे।
चौथे चरण में 103.94 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 37.01 किलोमीटर भूमिगत होगी जबकि करीब 66.92 किलोमीटर खंभों पर आधारित होगी। इस परियोजना पर करीब 46,845 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन के अनुसार उसका 343 किलोमीटर का नेटवर्क चालू है और रोजाना औसतन 28 लाख यात्री इसकी सवारी करते हैं।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को शुक्रवार को प्रदूषण के मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने सूचित किया कि दिल्ली सरकार चौथे चरण की परियोजना को मंजूरी देने के लिये राजी हो गयी है।
हालांकि, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि भूमि की लागत और करों को साझा करने जैसे मुद्दे अभी भी लंबित हैं। केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने पीठ को बताया कि मेट्रो परियोजना के पहले के चरणों में अपनाया गया वित्तीय तरीका ही चौथे चरण में भी अपनाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि भोपाल, इन्दौर, कानपुर, पटना और आगरा जैसे शहरों में भी मेट्रो परियोजनाओं के लिये यही तरीका अपनाया गया है। शीर्ष अदालत ने चौथे चरण पर काम शुरू करने का निर्देश देते हुये कहा कि केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच भूमि की कीमत और करों को साझा करने संबंधी मुद्दों पर 19 जुलाई को विचार किया जायेगा।
पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों को चौथे चरण की परियोजना का निर्माण कार्य शुरू करने का निर्देश दिया है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने हाल ही में शीर्ष अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मेट्रो का चौथा चरण राजधानी में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान करेगा।
बस और अंतिम छोर तक की मिली जुली संपर्क व्यवस्था राजधानी में सार्वजिनक परिवहन नेटवर्क में महत्वपूर्ण सुधार करेगी और कार मुक्त यातायात के लिये बेहतर विकल्प उपलब्ध करायेगी। प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार चौथा चरण मेट्रो में प्रतिदिन करीब 18.6 लाख यात्रियों को जोड़ेगा।
शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई को मेट्रो के चौथे चरण में केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच वित्तीय पहलुओं पर गौर करते हुये कहा था कि इस मामले में वह आदेश पारित करेगी क्योंकि ‘‘परियोजना इंतजार नहीं कर सकती।’’ न्याय मित्र ने पीठ से कहा था कि प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार चौथे चरण की परियोजना काफी महत्वपूर्ण है और लंबे समय से लटके इस मामले को शीघ्र हल किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया था कि परियोजना के विभिन्न वित्तीय पहलुओं को लेकर केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच बातचीत में गतिरोध उत्पन्न हो गया है। दिल्ली सरकार ने 10 अप्रैल, 2019 को सूचित किया था कि इन विषयों का समाधान होने तक दिल्ली मेट्रो चौथे चरण का काम शुरू नहीं करेगी।
न्यायालय में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का मुद्दा उठा था और इसके बाद ही शीर्ष अदालत ने इस पहलू पर विचार करना शुरू किया।