अगले महीने शुरू होगी एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया, इस वजह से बढ़ा घाटा
By हरीश गुप्ता | Published: August 1, 2019 08:47 AM2019-08-01T08:47:40+5:302019-08-01T08:47:40+5:30
एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले महीने शुरू होगी और नई शर्तों के तहत बोली अक्तूबर में आमंत्रित की जाएगी. एयर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अश्विनी लोहानी इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी को भारी घाटे से निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
नई दिल्ली, 31 जुलाईःएयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले महीने शुरू होगी और नई शर्तों के तहत बोली अक्तूबर में आमंत्रित की जाएगी. एयर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अश्विनी लोहानी इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी को भारी घाटे से निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया का परिचालन घाटा 4330 करोड़ रहा, जो सभी निजी एयरलाइंस को हुए नुकसान से अधिक है.
परिचालन राजस्व में बढ़ोत्तरी के बावजूद उच्च परिचालन लागत के कारण एयर इंडिया को नुकसान हुआ है. लोहानी घाटे में चल रही कंपनी की परिचालन लागत को कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विनिवेश से मिलने वाली रकम को विशेष उद्देश्य वाले इस विमानन कंपनी के कर्ज को चुकाने में किया जाएगा. बाकी 28887 करोड़ रुपए का कर्ज की जिम्मेदारी नए खरीदार पर होगी. विनिवेश की पहली बोली विफल हो गई, तो सरकार चाहती थी कि खरीदार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 33392 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज और देनदारियों को अपने ऊपर ले, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली.
किसी भी खरीदार ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली. इस परिप्रेक्ष्य में सरकार को एयर इंडिया से पीछा छुड़ाना मुश्किलभरा हो सकता है. लोहानी जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको विशेष रूप से एयर इंडिया के अध्यक्ष पद के लिए चुना ताकि वह समयसीमा में इसके विनिवेश के लिए कठोर निर्णय ले सकें. यही नहीं, मोदी ने एयर इंडिया के विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (एआईएसएएम) का पुनर्गठन किया. यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी के अलावा वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल इसके सदस्य हैं.
लोहानी अगले साल नए मिशन पर
सरकार ने विनिवेश के लिए कई शर्तों में सुधार किया है, जिसमें 95 फीसदी स्वामित्व का स्थानांतरण और 5 फीसदी एम्पलाई स्टॉक ऑप्शन (कर्मचारियों की हिस्सेदारी) के लिए बनाए रखना शामिल है. नया खरीदार इस एयरलाइंस को किसी को बेच या दूसरी कंपनी में विलय कर सकता है. खबरों की मानें तो लोहानी का टास्क फरवरी 2020 तक एयर इंडिया का विनिवेश कर नए मिशन की जिम्मेदारी लेना है.