मोदी सरकार मना रही जश्न लेकिन बेरोजगारी और शिक्षा की समस्याओं से जूझ रहा है देश

By शीलेष शर्मा | Published: September 27, 2019 05:39 AM2019-09-27T05:39:45+5:302019-09-27T05:39:45+5:30

 कैसी बिडंबना है कि 18-23 वर्ष के युवा कुल आबादी का मात्र  74 फीसदी ही कॉलेज में कदम रख ही नहीं पा रहे है. देश में 90 लाख डिग्रियां हर साल दी जाती है. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या इन 90 लाख को केंद्र और राज्य की सरकारें रोजगार मुहैय्या करा रही हैं.

The Modi government is celebrating but the country is struggling with unemployment and education problems | मोदी सरकार मना रही जश्न लेकिन बेरोजगारी और शिक्षा की समस्याओं से जूझ रहा है देश

मोदी सरकार मना रही जश्न लेकिन बेरोजगारी और शिक्षा की समस्याओं से जूझ रहा है देश

Highlights मई 2019 में बेरोजगारी का जो आंकड़ा 7.3 फीसदी था वह अगस्त में बढ़कर 8.19 फीसदी तक जा पहुंचा है.जबकि दुनिया में औसतन बेरोजगारी का आंकड़ा आज भी महज़ 4.9 फीसदी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भारत से लेकर अमेरिका के ह्युटन तक भले ही जश्न मना रही हो लेकिन सरकारी आंकड़े बताते है कि देश में शिक्षा और बेरोजगारी आज़ादी के बाद ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जिसने देश के युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकॉनोमी के एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मई 2019 में बेरोजगारी का जो आंकड़ा 7.3 फीसदी था वह अगस्त में बढ़कर 8.19 फीसदी तक जा पहुंचा है. जबकि दुनिया में औसतन बेरोजगारी का आंकड़ा आज भी महज़ 4.9 फीसदी है.

पुरुष बेरोजगारों का यह आंकड़ा 6 फीसदी और महिलाओं का 17.5 फीसदी है. बेरोजगार महिलाओं के आसमान छूते आंकड़े यह साबित कर रहे हैं कि सरकार का यह नारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ खोखला साबित हो रहा है.

महाराष्ट्र की बात करें तो महाराष्ट्र भी शिक्षा और बेरोजगारी की इस भयंकर बीमारी से अछूता नहीं है. भारत सरकार की ताजा रिपोर्ट के अनुसार स्नातक स्तर के बेरोजगार राज्य में 9.28 फीसदी है और वह लोग जो नौकरी के लिए ना केवल लालयित है बल्कि दो जून की रोटी के लिए रोजगार खोज़ रहे है ऐसे बेरोजगारों की संख्या 10.85 फीसदी है. स्नातक की डिग्री पाने के बाद भी यह युवा जिनमें महिला और पुरुष, शहरी और ग्रामीण सभी शामिल है, हर रोज संघर्ष कर रहे है.

देश का जो हाल बेरोजगारी को लेकर है ऐसा ही कुछ हाल देश की शिक्षा को लेकर भी है.  कैसी बिडंबना है कि 18-23 वर्ष के युवा कुल आबादी का मात्र  74 फीसदी ही कॉलेज में कदम रख ही नहीं पा रहे है. देश में 90 लाख डिग्रियां हर साल दी जाती है. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या इन 90 लाख को केंद्र और राज्य की सरकारें रोजगार मुहैय्या करा रही हैं. 

महाराष्ट्र में 2014-15 में महिला और पुरूष शिक्षिक जो स्नातक और स्नोतोक्तर विद्यालयों में शिक्षा दे रहे है की संख्या 22715 थी. 2018-19 में यह घटकर मात्र 18944 रह गई है. यह कोई निजी संस्था के आंकड़े नहीं बल्कि सरकार द्वारा जारी की गई एआईएसएचई की रिपोर्ट में दिए गए है. देश में इस समय 993 विश्वविद्यालय, 39931 कॉलेज, 10725 संस्थाएं है.  जिसमें 385 निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय और 394 ग्रामीण क्षेत्रों में है.

Web Title: The Modi government is celebrating but the country is struggling with unemployment and education problems

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