श्रम कानून को बदलने के मामले में आगे आया अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, PM मोदी से की राज्यों को स्पष्ट संदेश देने की अपील

By भाषा | Published: May 26, 2020 04:32 AM2020-05-26T04:32:03+5:302020-05-26T04:32:03+5:30

आईएलओ ने 22 मई को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘‘ वह केंद्रीय श्रमिक संगठनों को भरोसा दिलाना चाहता है कि इस मामले में आईएलओ के महानिदेशक ने तत्काल हस्तक्षेप किया है।

The International Labor Organization appealed to PM Modi to give a clear message to the states on giving more rights to the company by changing the labor law. | श्रम कानून को बदलने के मामले में आगे आया अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, PM मोदी से की राज्यों को स्पष्ट संदेश देने की अपील

नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsइंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी जैसे 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस बारे में 14 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी। भारत ने आईएलओ के साथ कई संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं।

नयी दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कानून में फेरबदल और निलंबन पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए इस मामले में राज्यों को स्पष्ट संदेश भेजने और प्रभावी सामाजिक संवाद कायम करने के लिए भी कहा है। इंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी जैसे 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस बारे में 14 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी।

आईएलओ ने 22 मई को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘‘ वह केंद्रीय श्रमिक संगठनों को भरोसा दिलाना चाहता है कि इस मामले में आईएलओ के महानिदेशक ने तत्काल हस्तक्षेप किया है। इस बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष गहरी चिंता व्यक्त की गयी है। साथ ही उनसे केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकारों को भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को अक्षुण्ण रखने के लिए स्पष्ट संदेश भेजने का आग्रह भी किया गया है। उनसे इसे लेकर एक प्रभावी सामाजिक संवाद को प्रोत्साहन देने का भी अनुरोध किया गया है।’’

केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों के निलंबन या उनमें फेरबदल कर अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के मुकाबले कमजोर करने के मामले में आईएलओ के महानिदेशक से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की थी। भारत ने आईएलओ के साथ कई संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह संधियां देश के मौजूदा कानूनी ढांचे और नियम-कानूनों के अनुरूप हैं। कोई भी देश आईएलओ के साथ अपने कानूनी ढांचे में अनिवार्य प्रावधान करने के बाद ही संधि कर सकता है।

इस प्रकार किसी भी श्रम कानून में बदलाव या उन्हें निलंबित करने से इन संधियों का उल्लंघन होता है। यह संधिया एक राष्ट्र के तौर पर किसी देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं भी होती हैं। इस बीच इन दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने सोमवार को आईएलओ से इस अनिश्चित माहौल में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की। ताकि भारत सरकार को श्रमिकों के मूल अधिकारों को एकतरफा उन्मूलन करने से रोका जा सके।

साथ ही सामाजिक भागीदारी और आईएलओ के त्रिपक्षीय सिद्धांत को बनाए रखा जा सके। उन्होंने विशेष तौर पर केंद्र सरकार के अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक (रोजगार के विनियम और सेवा की शर्तें) अधिनियम-1979 को निरस्त करने के विचार को रेखांकित किया। संगठनों ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात सरकारों के ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 को स्थगित करने का भी उल्लेख किया।

यह अधिनियम संघ बनाने की आजादी, औद्योगिक विवाद अधिनियम का मूल आधार है जो मजदूरों को अन्य कानूनी अधिकार के साथ हड़ताल पर जाने का अधिकार भी देता है। इन दस संगठनों में सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ,एचएमएस, टीयूसीसी और यूटीयूसी शामिल हैं। देश में कुल 12 केंद्रीय श्रमिक संगठन हैं। 

Web Title: The International Labor Organization appealed to PM Modi to give a clear message to the states on giving more rights to the company by changing the labor law.

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