अमरनाथ यात्रा में निकलने वाला पूरा कचरा होगा रिसाइकिल, दिखने लगा जीरो वेस्ट बनाने की मुहीम का असर
By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 1, 2022 10:04 AM2022-07-01T10:04:50+5:302022-07-01T10:06:52+5:30
पहले दो दिन से ही इस अभियान का असर दिखाई दे रहा है। लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। इस काम में सहयोगी स्टार्टअप स्वाहा के वालंटियर्स लगे हुए हैं। इस योजना का लक्ष्य पहाड़ों और नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखना है।
जम्मू: अमरनाथ यात्रा को जीरो वेस्ट बनाने की मुहीम का असर दिखाई देने लगा है। जम्मू-कश्मीर के रूरल डेवलपमेंट विभाग ने कचरा मुक्त तीर्थयात्रा अभियान शुरू किया है। स्वच्छ भारत मिशन की तर्ज पर कचरा मुक्त तीर्थयात्रा का काम चल रहा है। यात्रियों को प्लास्टिक और पॉलिथीन ले जाने से रोका जा रहा है। इसके अलावा यात्रा मार्ग में कचरे को उठाने और उसके निपटान की पूरी मशीनरी लगाई गई है।
पहले दो दिन से ही इस अभियान का असर दिखाई दे रहा है। लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। इस काम में सहयोगी स्टार्टअप स्वाहा के वालंटियर्स लगे हुए हैं। इस योजना का लक्ष्य पहाड़ों और नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखना है। प्रतिवर्ष अमरनाथ यात्रा में 500 टन कचरा निकलता रहा है। इस बार करीब 800 टन कचरा निकलने का अनुमान है।
इस अनूठी योजना के बारे में आईएएस अधिकारी और सेक्रेटरी रूरल डेवलपमेंट जम्मू काश्मीर सुश्री मनदीप कौर का कहना है कि इस वर्ष केंद्र सरकार के मार्गदर्शन स्वच्छ भारत अभियान और यूएनीपी की "ओनली वन अर्थ" को गाइड लाइंस मानते हुए यह तय किया गया कि अमरनाथ के निवास और पवित्र गुफा दर्शन के इस आयोजन को पूर्णत: सस्टेनेबल और कचरा मुक्त रखा जाए।
इसका उद्देश्य प्रकृति, पहाड़ों, ग्लेशियर्स की रक्षा के साथ-साथ इस यात्रा को एक मिसाल बनाना है। यात्रियों को जागरूक करने के लिए कुछ नारे भी बनाये हैं। 'ये है प्रभु का घर गंदा नहीं करेंगे हम। ओम जय शिव ओंकारा, मिटायेंगे कचरा सारा।' डायरेक्टर रूरल डेवेलपमेंट और सेनिटेशन चरणजीत सिंह ने बताया कि यात्रा को पूरी तरह से सिंगल यूज पॉलीथीन और डिस्पोजल प्लास्टिक से मुक्त रखने को हम प्रतिबद्ध हैं। यात्रा मार्ग में चलने वाले लंगरों के प्रबंधन को जागरुक किया जाएगा।
उनके सहयोग से अमरनाथ का धाम पूरी तरह कचरा मुक्त करने पर जोर है। इस योजना के सहयोगी स्वाहा संस्था के को-फाउंडर समीर शर्मा का कहना है कि किसी भी तरह का वेस्ट लैंडफील में नहीं जाने दिया जाएगा। कचरे रिसाइकिल किया जाएगा। कचरे से बनी खाद किसानों और इलाके की नगर परिषद के काम आएगी। इसके लिए स्पॉट पर ही सेग्रीगेशन औरप्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई है।
कचरे के अलावा सौर ऊर्जा के उपयोग पर भी काम हो रहा है। यात्रा मार्ग पर सोलर कॉन्सेंट्रेटर लगाए गए हैं। रूरल डेवलोपमेन्ट विभाग इसके जरिये यात्रा को हर दृष्टि से प्रदूषण मुक्त बनाने में जुटा है। ये सोलर कॉन्सेंट्रेटर दूध, पानी गर्म करने, चावल, मैगी, आलू उबालने में काम आएंगे। इसके दो मॉडल कम्युनिटी और डोमेस्टिक बेस कैंप में लगाए गए हैं।