‘‘चुनाव आयोग कभी भी विशेषाधिकार संचार की चर्चा नहीं करता’’

By भाषा | Published: March 3, 2021 12:54 AM2021-03-03T00:54:43+5:302021-03-03T00:54:43+5:30

"The Election Commission never discusses privilege communication" | ‘‘चुनाव आयोग कभी भी विशेषाधिकार संचार की चर्चा नहीं करता’’

‘‘चुनाव आयोग कभी भी विशेषाधिकार संचार की चर्चा नहीं करता’’

नयी दिल्ली, दो मार्च मीडिया में आयी इस खबर के बीच कि चुनाव आयोग ने 2018 के ‘‘लाभ के पद मामले में’’ संसदीय सचिव पदों पर रहने को लेकर अयोग्य ठहराये जाने के खतरे का सामना कर रहे मणिपुर के 12 भाजपा विधायकों के पक्ष में विचार व्यक्त किया है, आयोग ने मंगलवार को कहा कि वह किसी विशेषाधिकार संचार की कभी भी चर्चा नहीं करता।

मीडिया में आयी खबर के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक चुनाव आयोग द्वारा उल्लंघन करते नहीं पाये गए क्योंकि उन्होंने राज्य में संसदीय सचिवों के पद दो कानूनों के तहत प्राप्त छूट के तहत संभाले थे।

इन कानूनों को बाद में उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था।

अदालत द्वारा कानूनों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद, मणिपुर कांग्रेस ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से संपर्क करके भाजपा के 12 विधायकों को संसदीय सचिवों के पद संभालने के चलते अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।

राज्यपाल ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर चुनाव आयोग के विचार मांगे थे।

मीडिया की खबर के अनुसार, जनवरी में हेपतुल्ला को लिखे एक पत्र में चुनाव आयोग ने कहा है कि चूंकि दो कानून उस समय लागू थे जब विधायकों ने संसदीय सचिवों के पद संभाले थे, इसलिए उन्हें लाभ का पद धारण करने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

सवालों के जवाब में, आयोग के एक प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘चुनाव आयोग विशेषाधिकार प्राप्त संचार पर (किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकार के साथ) चर्चा नहीं करता।’’

वहीं सूचना एवं प्रसारण सचिव अमित खरे ने मणिपुर के मुख्य सचिव राजेश कुमार को लिखे एक पत्र में कहा है कि नयी अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत सूचना का प्रस्तुतिकरण और सूचना के प्रकटीकरण की देखरेख सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा की जानी है और इन शक्तियों को राज्य सरकारों या जिलाधिकारियों या पुलिस आयुक्तों को नहीं सौंपा गया है।

खरे का निर्देश इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेट नोरेम प्रवीण सिंह द्वारा प्रकाशक या मध्यस्थ, "खानसी नीनासी" को एक पत्र लिखे जाने के बाद आया जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित दस्तावेजों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

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Web Title: "The Election Commission never discusses privilege communication"

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