मोदी सरकार के फैसलेः गंभीर बाल यौन शोषण मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान, कानून बनेगा कड़ा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2019 08:48 PM2019-07-10T20:48:15+5:302019-07-10T20:48:15+5:30

सरकार ने एक बयान में कहा कि बाल यौन शोषण के पहलुओं पर उचित ढंग से निपटने के लिए पॉक्सो कानून, 2012 की धाराओं 2, 4, 5, 6, 9, 14, 15, 34, 42 और 45 में संशोधन किये जा रहे हैं। 

The decision of the Modi government: the provision of death penalty in serious child sexual abuse cases, the law will be tightened | मोदी सरकार के फैसलेः गंभीर बाल यौन शोषण मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान, कानून बनेगा कड़ा

सरकार ने कहा कि कानून में शामिल किए गए मजबूत दंडात्मक प्रावधान निवारक का काम करेंगे।

Highlightsबच्चों का गंभीर यौन उत्पीड़न करने वालों को मृत्युदंड व नाबालिगों के खिलाफ अन्य अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून में प्रस्तावित संशोधनों में बाल पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान शामिल है।

बाल यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए, केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पॉक्सो कानून को कड़ा करने के लिए इसमें संशोधनों को मंजूरी दे दी। प्रस्तावित संशोधनों में बच्चों का गंभीर यौन उत्पीड़न करने वालों को मृत्युदंड व नाबालिगों के खिलाफ अन्य अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून में प्रस्तावित संशोधनों में बाल पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान शामिल है। सरकार ने कहा कि कानून में बदलाव से देश में बढते बाल यौन शोषण के मामलों के खिलाफ कठोर उपाय और नई तरह के अपराधों से भी निपटने की जरूरत पूरी होगी।

सरकार ने कहा कि कानून में शामिल किए गए मजबूत दंडात्मक प्रावधान निवारक का काम करेंगे। सरकार ने कहा, ‘‘इसकी मंशा परेशानी में फंसे असुरक्षित बच्चों के हितों का संरक्षण करना तथा उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना है।

संशोधन का उद्देश्य बाल उत्पीड़न के पहलुओं तथा इसकी सजा के संबंध में स्पष्टता प्रावधान लेकर आने का है।’’ सरकार ने एक बयान में कहा कि बाल यौन शोषण के पहलुओं पर उचित ढंग से निपटने के लिए पॉक्सो कानून, 2012 की धाराओं 2, 4, 5, 6, 9, 14, 15, 34, 42 और 45 में संशोधन किये जा रहे हैं। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे सुरक्षा बल सेवा को संगठित समूह ‘क’ का दर्जा देने को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को रेलवे सुरक्षा बल सेवा को संगठित समूह ‘क’ का दर्जा देने को मंजूरी प्रदान कर दी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को संगठित समूह ‘क’ का दर्जा देने तथा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के क्रमशः दिनांक 24 अप्रैल 2009 और छह जून 2000 के दिशा-निर्देशों और अनुवर्ती अनुदेशों के अनुसार एक जनवरी 2006 से गैर- क्रियात्मक वित्तीय उन्नयन (एनएफएफयू) के अनुवर्ती लाभ और छह जून 2000 से वरिष्ठ ड्यूटी पद (एसडीपी) का 30 प्रतिशत एनएफएसजी गैर-क्रियात्मक सलेक्शन ग्रेड (एनएफएसजी) देने को मंजूरी दी गई है।

इसमें कहा गया है कि आरपीएफ को संगठित समूह ‘क’ सेवा का दर्जा प्रदान करने से सेवा में ठहराव खत्म होगा, अधिकारियो की कैरियर प्रगति में सुधार होगा और उनका प्रेरणात्मक स्तर कायम रहेगा। आरपीएफ के योग्य अधिकारी लाभान्वित होंगे।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार दिसंबर 2012 के आदेश द्वारा रेलवे को आरएएफ को समूह ‘क’ सेवा का दर्जा प्रदान करने का निर्देश दिया था । उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 5 फरवरी 2019 के आदेश द्वारा इसकी पुष्टि कर दी है। रेलवे बोर्ड ने आरपीएफ को संगठित समूह ‘क’ सेवा का दर्जा प्रदान करने का प्रस्ताव किया था। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अंतरराज्यीय जल विवादों को कुशलता पूर्वक और तेजी से निपटाने के लिए अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अंतरराज्यीय नदियों के जल और नदी घाटी से संबंधित विवादों के न्यायिक निर्णय के लिए अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्लयूडी) अधिनियम 1956 में संशोधन को मंजूरी दी गई है।

सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के न्यायिक निर्णय को और सरल तथा कारगर बनाएगा। इस विधेयक :अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 : को संशोधन करने के लिए लाया जा रहा है । न्यायिक निर्णय के लिए कड़ी समय सीमा निर्धारण और विभिन्न पीठों के साथ एकल न्यायाधीकरण के गठन से अंतरराज्यीय नदियों से संबंधित विवादों का तेजी से समाधान करने में मदद मिलेगी । 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक 2019 को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।

यह विधेयक अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी अध्‍यादेश, 2019 का स्‍थान लेगा। अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2019 फरवरी में 21 तारीख को लागू अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा । सरकार का कहना है कि यह विधेयक देश में अवैध रूप से जमा किये जा रहे धन के प्रभाव से निपटने में मदद करेगा।

वर्तमान में अवैध जमा योजनाएं नियामक अंतरों का लाभ उठाते हुए तथा कठोर प्रशासनिक उपायों के अभाव में गरीब लोगों की गाढ़ी कमाई से की गई बचत ठगी जा रही है। अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2018 पर लोकसभा ने 13 फरवरी, 2019 को अपनी बैठक में विचार किया और इसे विचार-विमर्श के बाद में प्रस्‍तावित सरकारी संशोधनों के माध्‍यम से अनियंत्रित जमा पाबंदी विधेयक, 2019 के रूप में पारित किया। लेकिन इस पर राज्‍य सभा विचार नहीं कर सकी और विधेयक पारित नहीं हो सका, क्‍योंकि उसी दिन राज्‍य सभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित हो गई। 

Web Title: The decision of the Modi government: the provision of death penalty in serious child sexual abuse cases, the law will be tightened

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