बिहार चमकी बुखार: थम नहीं रहा है मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौतों का सिलसिला, अब तक 132 मासूमों की मौत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 26, 2019 09:59 AM2019-06-26T09:59:09+5:302019-06-26T09:59:09+5:30
बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के 40 जिलों में से करीब 20 जिलों में इस बार एईएस से करीब 600 बच्चे प्रभावित हुए जिनमें से करीब 140 की मौत हो गई. मुजफ्फरपुर इस रोग से पूर्व की भांति सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा.
बिहार में चमकी बुखार से बच्चों के मरने का सिलसिला नहीं थम रहा है. मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से एक और बच्चे की मौत हो गई है. मुजफ्फरपुर में अब तक कुल 132 बच्चों की मौत हो चुकी है. एसकेएमसीएच में 111 और केजरीवाल अस्पताल में 21 बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार में मौतों का आंकड़ा 185 पार चला गया है.
बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के 40 जिलों में से करीब 20 जिलों में इस बार एईएस से करीब 600 बच्चे प्रभावित हुए जिनमें से करीब 140 की मौत हो गई. मुजफ्फरपुर इस रोग से पूर्व की भांति सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा.
सीएम नीतीश कुमार ने मांगा बिहार के स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा?
बिहार में एईएस अर्थात चमकी बुखार से हो रही मौतों के सिलसिले में जहां एक ओर थोड़ी कमी हो रही है, वहीं इस मुद्दे पर सियासत परवान चढ़ने लगी है. विपक्ष के हमलों के बीच अब बिहार सरकार के भीतर भी खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं. चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस्तीफा मांगा है. हालांकि, इसकी पुष्टी किसी स्तर से नहीं की जा रही है. वहीं, भाजपा सूत्रों ने भी स्पष्ट संकेत दिया है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे.
डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा के लिए बनवाई क्विक रिस्पॉन्स टीम
डॉक्टरों के साथ मरीज के परिजनों द्वारा की जा रही हिंसा को ध्यान में रखते हुए मुजफ्फरपुर में भी डॉक्टर डरे हुए हैं. इसके लिए उन्होंने खुद के पैसे इकठ्ठे कर क्विक रिस्पॉन्स टीम तैयारी की है. क्यूआरटी टीम जिले के कई जगहों पर तैनात की गई है. डॉक्टरों के मुताबिक कई बार ऐसा होता है कि सूचना के बाद पुलिस काफी देर से पहुंचती है, तब तक हालात काफी बिगड़ चुके होते हैं. ऐसी स्थिति में क्विक रिस्पॉन्स टीम उनकी सुरक्षा करेगी.
स्वास्थ्य सेवा के मामले में बिहार फिसड्डी
स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर पिछड़े बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा एक नयी तुलनात्मक रिपोर्ट में पहले से अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं. इसके विपरीत हरियाणा, राजस्थान और झारखंड में हालात उल्लेखनीय रूप से सुधरे हैं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की ‘स्वस्थ राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आयी है. इस रपट में इन्क्रीमेन्टल रैंकिंग यानी पिछली बार के मुकाबले सुधार के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान पर सबसे नीचे रहा है जबकि उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओड़िशा 18वें स्थान पर रहा है. संपूर्ण रैंकिंग की यदि बात की जाये तो 21 बड़े राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश सबसे नीचे 21वें स्थान पर है.