सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के मालिकों से पूछा - 3500 करोड़ के पंचाट अवार्ड पर कैसे करेंगे अमल?
By भाषा | Published: March 15, 2019 10:55 AM2019-03-15T10:55:31+5:302019-03-15T10:55:31+5:30
धान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने न्यायालय में मौजूद सिंह बंधुओं से कहा कि वे अपने कानूनी और वित्तीय सलाहकारों से विचार विमर्श करके न्यायाधिकरण के अवार्ड का पालन करने के बारे में एक ठोस योजना पेश करें।
नई दिल्ली, 14 मार्चः उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक मलविन्दर सिंह और शिविन्दर सिंह को यह बताने का निर्देश दिया कि वे सिंगापुर न्यायाधिकरण के 3500 करोड़ रूपए के पंचाट अवार्ड का किस तरह पालन करेंगे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने न्यायालय में मौजूद सिंह बंधुओं से कहा कि वे अपने कानूनी और वित्तीय सलाहकारों से विचार विमर्श करके न्यायाधिकरण के अवार्ड का पालन करने के बारे में एक ठोस योजना पेश करें।
पीठ ने कहा, ‘‘यह किसी व्यक्ति के सम्मान का मामला नहीं है लेकिन देश के सम्मान के लिये भी यह अच्छा नहीं लगता है। आप फार्माकेयर उद्योग के अग्रणी हैं और यह अच्छा नहीं लगता कि आप न्यायालय में पेश हो रहे हैं।’’ पीठ ने सिंह बंधुओं को 28 मार्च को न्यायालय में पेश होने और अपनी योजना पेश करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि यह अंतिम बार होगा जब आप न्यायालय में पेश हो रहे होंगे।’’
शीर्ष अदालत जापान की फर्म दायची सैंक्यो की याचिका पर सुनवाई कर थी जिसने सिंह बंधुओं के खिलाफ अपने एक मामले में सिंगापुर न्यायाधिकरण के 3500 करोड़ रूपए के अवार्ड की रकम की वसूली कराने का अनुरोध किया है। जापान की फर्म ने सिंह बंधुओं के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर की है और कहा है कि इन दोनों ने उसे फोर्टिस हेल्थकेयर से कुछ शेयर देने का वायदा किया था। शीर्ष अदालत ने इससे पहले फोर्टिस हेल्थकेयर को नियंत्रित करने वाला हिस्सा मलेशिया की कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर बर्हड को बेचने से संबंधित याचिका पर कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 दिसंबर को फोर्टिस हेल्थकेयर को नियंत्रित करने वाला हिस्सा बेचने के मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था। न्यायालय ने सिंह बंधुओं को नोटिस भी जारी करके पूछा था कि शेयर गिरवी रखकर शीर्ष अदालत के पहले के आदेश का कथित उल्लंघन करने के कारण उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाये। फोर्टिस हेल्थकेयर के बोर्ड ने जुलाई में आईएचएच हेल्थकेयर को कंपनी के 31.1 फीसदी का तरजीही आबंटन करके 4000 करोड़ रूपए के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। दायची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीद लिया था। बाद में उसने सिंगापुर पंचाट न्यायाधिकरण में मामला दायर कर आरोप लगाया कि सिंह बंधुओं ने कंपनी के शेयर बेचते समय इस तथ्य को छिपाया कि अमेरिका का खाद्य एवं औषधि प्रशासन और न्याय विभाग रैनबैक्सी की जांच कर रहा है।
दायची ने अमेरिका के न्याय विभाग के साथ एक समझौता किया और दीवानी तथा आपराधिक दायित्वों को हल करने के लिये 50 करोड़ अमेरिकी डालर बतौर दंड भुगतान करने पर राजी हो गयी थी। कंपनी ने इसके बाद रैनबैक्सी में अपनी हिस्सेदारी 22,679 करोड़ रूपए में 2015 में सन फार्मास्यूटिकल्स को बेच दी थी।