सीआईसी ने सीबीआई से पूछा- माल्या के प्रत्यर्पण के खर्च से उसका अभियोजन कैसे बाधित होगा?

By भाषा | Published: September 1, 2019 04:39 PM2019-09-01T16:39:33+5:302019-09-01T16:39:33+5:30

माल्या 2015 में अपने खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर की धाराओं को हल्का किये जाने के बाद 2016 में ब्रिटेन भाग गया था।

The CIC asked the CBI - how will Mallya's extradition expenses hinder his prosecution? | सीआईसी ने सीबीआई से पूछा- माल्या के प्रत्यर्पण के खर्च से उसका अभियोजन कैसे बाधित होगा?

सीआईसी ने सीबीआई से पूछा- माल्या के प्रत्यर्पण के खर्च से उसका अभियोजन कैसे बाधित होगा?

केंद्रीय सूचना आयोग ने सीबीआई को निर्देश देकर कहा कि वह यह बताए कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर आने वाले खर्च की जानकारी देने से कैसे उसकी लंबित हिरासत और अभियोजन बाधित होगा। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण पर आने वाले कानूनी और अन्य खर्चों की जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

माल्या 2015 में अपने खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर की धाराओं को हल्का किये जाने के बाद 2016 में ब्रिटेन भाग गया था। माल्या ने ब्रिटेन से अपने प्रत्यर्पण को वहां की अदालत में चुनौती दे रखी है। अपने आरटीआई आवेदन के तहत पुणे स्थित कार्यकार्ता विहार धुर्वे ने सीबीआई से छह बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी जिनमें कुल कानून खर्च और परामर्श शुल्क (भारत और विदेश में), कुल यात्रा खर्च, माल्या के प्रत्यर्पण के लिये सरकार द्वारा जिन वकीलों को फीस अदा की गई उनका नाम शामिल था।

एजेंसी ने आरटीआई अधिनियम की धारा 24 और धारा 8(1)एच के तहत मिली छूट का हवाला देते हुए जवाब देने से बचने की कोशिश की। धारा 24 के तहत दूसरी अनुसूची में शामिल सुरक्षा और खुफिया संगठनों को आरटीआई अधिनियम के तहत छूट दी गई है। हालांकि इस धारा के प्रावधान कहते हैं कि भ्रष्टाचार के “आरोपों” और मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़े मामलों में खुलासे पर फैसला आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर किया जाएगा।

Web Title: The CIC asked the CBI - how will Mallya's extradition expenses hinder his prosecution?

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