आतंकवाद एशिया में सबसे गंभीर खतरा: विदेश मंत्री जयशंकर
By भाषा | Published: June 15, 2019 10:55 PM2019-06-15T22:55:43+5:302019-06-15T22:55:43+5:30
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित ‘एशिया में बातचीत एवं विश्वास बहाली’ (सीआईसीए) के पांचवें सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि सीआईसीए के सदस्य देश आतंकवाद के पीड़ित हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को यहां कहा कि आतंकवाद एशिया में लोगों के लिए ‘‘सबसे गंभीर खतरा’’ है। साथ ही, आतंकवादियों और उनकी हरकतों से पीड़ितों को एक ही नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद से लड़ने की एक व्यापक रणनीति के लिए भारत के प्रस्ताव पर भी समर्थन मांगा।
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित ‘एशिया में बातचीत एवं विश्वास बहाली’ (सीआईसीए) के पांचवें सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि सीआईसीए के सदस्य देश आतंकवाद के पीड़ित हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा है, जिसका हम एशिया में सामना कर रहे हैं। सीआईसीए सदस्य देश इसके पीड़ित हैं और इसलिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवादियों और उनकी हरकतों से पीड़ितों को एक ही नजर से नहीं देखा जाए।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि सीआईसीए ने आतंकवाद और चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए हमेशा ही एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है तथा आतंकवाद से लड़ने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता (सीसीआईटी) को शीघ्र अंतिम रूप देना आज कहीं अधिक आवश्यक हो गया है और हम इस सिलसिले में आपका सहयोग मांगते हैं। यह समझौता भारत ने प्रस्तावित किया है।
सीसीआईटी पर बातचीत पर फिलहाल गतिरोध है क्योंकि ‘‘आतंकवाद की परिभाषा’’ को लेकर मतभेद है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किर्गिज गणराज्य की राजधानी बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन को शुक्रवार को संबोधित करते हुए आतंकवाद को प्रोत्साहन और सहायता देने वाले तथा उसे धन मुहैया करने वाले देशों की आलोचना की थी। उन्होंने पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा था कि ऐसे देशों को जवाबदेह ठहराया जाए।
सीआईसीए एक अखिल एशिया मंच है जो एशिया में सहयोग बढ़ाता है और शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को प्रोत्साहित करता है। जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में अफगान नीत और खुद अफगानिस्तान द्वारा की जाने वाले शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है। विदेश मंत्री ने कहा कि समावेशी, सतत, पारदर्शी और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाला क्षेत्रीय संपर्क पहल व्यापार को प्रोत्साहित कर सकता है तथा क्षेत्र में समृद्धि एवं विकास के लिए एक अहम भूमिका निभा सकता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘भारत अपनी ओर से हमेशा ही इस तरह के क्षेत्रीय संपर्क कोशिशों का समर्थन करेगा।’’ उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा का अभाव एक अहम विकासात्मक चुनौती बन कर उभरा है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की भारत की पहल को जबरदस्त समर्थन मिला है। एशिया की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का विकास एक बड़ा योगदान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसमें अब तक शामिल नहीं हुए सीआईसीए के सभी सदस्यों को ऐसा करने का न्यौता देता हूं।’’
कहीं अधिक सुरक्षित एवं समृद्ध एशिया के लिए और इसकी चिंताओं से जुड़ी भारत की दृष्टि को साझा करते हुए जयशंकर ने कहा कि 21वी सदी एशियाई सदी मानी जा रही है और सीआईसीए निश्चित रूप से एशिया में शांति, सुरक्षा तथा विकास को बढ़ावा देने में एक उपयोगी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सभी कोशिशों और प्रक्रियाओं में वहां की वैध रूप से निर्वाचित सरकार तथा अफगान समाज के सभी तबकों को अवश्य ही शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि नयी भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक परिस्थिति के चलते वैश्वीकरण दबाव में है। जयशंकर ने कहा,‘‘ भारत एशिया में और शेष विश्व में नियम-कायदा आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है। लेकिन हम आतंकवाद, संघर्ष, एक देश से दूसरे देश की सीमा के अंदर होने वाले अपराध और समुद्री खतरे जैसे नहीं टाले जा सकने वाली चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा सुरक्षा का अभाव,कम अंतरा-क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क में कमी सहित सतत विकास के मुद्दे भी हैं। हमारी साझा भलाई के लिए इनका अवश्य ही फौरन समाधान किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि भारत इस बात को लेकर आश्वस्त है कि सीआईसीए एशियाई देशों के आपस में संवाद करने एवं बहुआयामी चुनौतियों का हल करने के प्रति एक संतुलित, खुला और समावेशी ढांचा प्रदान करना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-मध्य एशिया 5 वार्ता प्रारूप समूचे क्षेत्र में सहयोग एवं स्थिरता के लिए काफी सकारात्मक चीज है।’’ उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का विजन ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं वृद्धि) में निहित है और यह सीआईसीए के लक्ष्यों के अनुरूप है। भारत शुरुआत से ही सीआईसीए का सदस्य है । इस सम्मेलन का विषय - ‘‘एक सुरक्षित और अधिक समृद्ध सीआईसीए क्षेत्र के लिए साझा दृष्टिकोण" है।
शिखर सम्मेलन में सीआईसीए के अंदर सहयोग के मुद्दों को सम्मिलित करने वाली घोषणा को अपनाया जाएगा। सम्मेलन से पहले जयशंकर का ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने स्वागत किया। नये विदेश मंत्री जयशंकर पांचवें सीआईसीए सम्मेलन के लिए शुक्रवार को यहां पहुंचे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘एक अहम मध्य एशियाई साझेदार। विदेश मंत्री एस जयशंकर का ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने सीआईसीए 2019 सम्मेलन के शुभारंभ पर स्वागत किया। सीआईसीए के नेता एशियाई महाद्वीप की चुनौतियों से निपटने की सामूहिक रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।’’