आतंकवाद कैंसर, दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, मसूद अजहर सहित 80 आतंकवादियों के नाम का उल्लेख
By भाषा | Published: August 28, 2020 01:58 PM2020-08-28T13:58:11+5:302020-08-28T18:16:26+5:30
द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद और महामारी के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया तब आई है जब एक विशिष्ट घटना के कारण पर्याप्त व्यवधान उत्पन्न हो गया।
नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि जिन देशों ने आतंकवादियों को तैयार किया और उन्हें दूसरे देशों में भेजने का काम किया ,वे भी अपने आप को आतंकवाद के पीड़ित के रूप में पेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस बुराई को समर्थन देने वाले ढांचों को बंद करने के लिये वैश्चिक तंत्र बनाने की जरूरत है। पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दवाब के कारण आतंकी समूहों और संबंधित आपराधिक गिरोहों को मदद, प्रशिक्षण और निर्देश देने में संलग्न एक देश को अंतत: ‘अनिच्छा से’ उसके क्षेत्र में वांछित आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े नेताओं की मौजूदगी की बात स्वीकर करनी पड़ी ।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पाकिस्तान द्वारा जारी एक सांविधिक नियामक आदेश (एसआरओ) में दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, मसूद अजहर सहित 80 आतंकवादियों के नाम का उल्लेख है। इस आदेश का मकसद आतंकवाद निरोधक निकाय वित्तीय कार्यवाही कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा कालीसूची में डाले जाने से बचना था । द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने भारत की वैश्विक दृष्टि, आत्मनिर्भरता का सार, बहुपक्षता सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किये ।
आर्थिक मुद्दों और सरकार के आत्मनिर्भर भारत बनाने पर ध्यान देने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ आजीविका और नवोन्मेष को राजनीतिक फैशन और वाणिज्यिक सहुलियत की बलिवेदी पर बलिदान नहीं किया जाना चाहिए । विश्वास करें, कि हमारे देश के पास काफी कुछ है, अगर हममें उसे आगे बढ़ाने का विश्वास हो । ’’ आतंकवाद की चुनौती का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद कैंसर है और यह कैंसर उसी प्रकार सभी को प्रभावित करता है, जिस प्रकार महामारी सम्पूर्ण मानवता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और महामारी के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया तब आई है जब एक विशिष्ट घटना के कारण पर्याप्त व्यवधान उत्पन्न हो गया ।
उन्होंने 9 : 11 आतंकी हमले और 26 :11 मुम्बई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि एफएटीएफ सहित कई तरह के तंत्र स्थापित किये गए हैं लेकिन विश्व के समक्ष अभी भी ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि’ की कमी है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश अभी भी कुछ बुनियादी सिद्धांतों को लेकर जद्दोजेहद कर रहे हैं । पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि जिन देशों ने आतंकवादियों को तैयार किया और उन्हें अन्य देशों में भेजा , वे भी अपने आप को आतंकवाद के पीड़ित के रूप में पेश कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय तंत्र के माध्यम से सतत दबाव के कारण आतंकी समूहो और उनसे जुड़ी एजेंसियों की धन संबंधी गतिविधियां रूकी है और ऐसा पिछले सप्ताह देखा गया ।
उन्होंने कहा कि इसके कारण ही आतंकी समूहों और संबंधित आपराधिक सिंडिकेटों को मदद, प्रशिक्षण और निर्देश देने में संलग्न एक देश को अंतत: ‘अनिच्छा से’ उसके क्षेत्र में वांछित आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े नेताओं की मौजूदगी की बात स्वीकर करनी पड़ी । उन्होंने कहा कि आतंकवाद, और जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं, उनके खिलाफ संघर्ष साथ साथ चल रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को आतंकवाद को समर्थन देने वाले ढांचे को बंद करने के लिये जरूरी तंत्र सृजित करना होगा। जयशंकर ने कहा कि सही अर्थो में चुनौती आतंकवाद, महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाएं हैं और ये मुद्दे वास्तव में बहुपक्षता की गंभीरता की परीक्षा हैं ।
उन्होंने किसी देश का नाम लिये बिनाा कहा कि दुर्भाग्य से कुछ ऐसे हैं जो मानते हैं कि वे लाभ हासिल करेंगे और दूसरों के निपटने के लिये खतरा और चुनौतियां छोड़ देंगे । उन्होंने कहा कि यह गलत विश्वास के कारण प्रतिपादित होता है कि ऐसी समस्याएं पृथ्वी पर कुछ क्षेत्रों तक ही रहेंगी जबकि दूसरें इससे मुक्त रहेंगे । भारत की वैश्विक दृष्टि का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि देश अपनी सोच में वैश्विक रहा है और यह महामारी के दौरान सामने आया भी है, चाहे 150 देशों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने अथवा संकट के समय में मानवीय राहत पहुंचाने का हो ।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘....समय आ गया है कि हम वैश्विकरण के सिद्धांत पर पुन: विचार करें । हमने इसे कुछ के हितों के संदर्भ में परिभाषित होने दिया जिन्होंने इसे वित्तीय, कारोबार और यात्रा के संदर्भ में देखा । ’’ उन्होंने कहा कि वास्तविक वैश्विकरण कभी भी केवल समग्र लेनदेन की परिधि में नहीं हो सकता है । यह गठजोड़ और अविभाज्यता का परिणाम होता है। जयशंकर ने कहा कि महामारी ने वर्तमान अंतरराष्ट्रीय प्रणाली पर फिर से ध्यान देने में सहायता प्रदान की है।
Terrorism is a cancer that potentially affects everyone just as pandemics potentially impact all humanity: External Affairs Minister Dr S Jaishankar speaking at the 19th Darbari Seth Memorial Lecture pic.twitter.com/k3IX2swsC2
— ANI (@ANI) August 28, 2020
भारत के विस्तारित पड़ोस का केंद्र है संयुक्त अरब अमीरात :जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं और खाड़ी देश भारत के विस्तारित पड़ोस का केंद्र है। जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा इसराइल के बीच कूटनीतिक संबंध सामान्य होने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश के लिए बहुत से अवसर खुले हैं क्योंकि उसके दोनों देशों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। जयशंकर ने गल्फ न्यूज से कहा, ‘‘भारत और यूएई के संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। यूएई भारत के विस्तारित पड़ोस का केंद्र है। हम यूएई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मार्ग पर देखते हैं।
सिंगापुर पूर्व में तो पश्चिम में यूएई है।’’ भारत-यूएई द्विपक्षीय संबंधों में विशेष रुचि लेने वाले विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ये ऐसे संबंध हैं जिसमें दोनों देशों के सर्वोच्च नेतृत्व ने सद्भाव और ऊर्जा का निवेश किया है। परिणाम स्वरूप आप पिछले पांच साल में हुआ परिवर्तन देख सकते हैं।’’
एक खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में संयुक्त अरब अमीरात गये थे और 34 साल में उस देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। यह एक बड़ा निर्णायक समय था क्योंकि पिछले पांच साल बहुत प्रभावी साबित हुए हैं। जयशंकर ने 17 अगस्त को यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अली नहयान से विस्तार से वार्ता की थी जिसमें रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों तथा दोनों देशों के पड़ोस के हालात समेत अनेक विषयों पर चर्चा हुई।