तेलंगाना चुनाव 2018: 'महागठबंधन' से टीआरएस की राह मुश्किल, ये फैक्टर के.चंद्रशेखर राव के लिए खतरनाक
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 4, 2018 07:41 AM2018-11-04T07:41:09+5:302018-11-04T07:41:09+5:30
तेलंगाना में 119 सीटों पर 7 दिसंबर 2018 को विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। 12 नवंबर, 2018 को नोटिफिकेशन जारी होगा। चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे। बीजेपी यहां पर अकेले चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
(शिरीष कुलकर्णी)
तेलंगाना विधानसभा के चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ ही राज्य में राजनीतिक गठजोड़ की तस्वीर भी जल्द ही साफ होने के आसार नज़र आ रहे हैं। इस महागठबंधन का मुख्य उद्देश्य तेलंगाना में पूर्ण बहुमत के साथ सत्तासीन हुआ तेलंगाना राष्ट्र समिति को पटखनी देने के साथ ही तेलंगाना के सभी 119 सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतरने जा रही भारतीय जनता पार्टी के बुलंद हौसलों को पस्त करना भी है।
महागठबंधन के इस गठजोड़ के लिए जहाँ एक ओर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सुप्रीमो चंद्रबाबू नायुडू ने गत 1 नवंबर को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर आपसी समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश की है, वहीं पृथक तेलंगाना के आंदोलन में तेलंगाना जाइंट एक्शन कमीटी के महत्वपूर्ण सदस्य रहे प्रो. कोदंडराम ने अपनी नई पार्टी तेलंगाना जन समिति को कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर बातचीत की है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी जल्द लेंगे फैसला
जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव चाडा वेंकट रेड्डी के अनुसार उनकी पार्टी 4 नवंबर को पार्टी के महासचिव सुरवरम सुधार रेड्डी की उपस्थिति में आपातकालीन बैठक बुलाकर कांग्रेस के साथ महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के बारे में अंतिम फैसला करेगी। उल्लेखनीय है कि पृथक तेलंगाना के गठन के बाद वर्ष 2014 में हुए पहले चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति पूर्ण बहुमत के साथ तेलंगाना विधानसभा में पहुँची थी। जबकि सत्तासीन होने के बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी के साथ सभी विपक्षी पार्टियों का सफाया करने की मुहिम चलायी थी। इसके तहत विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को तेलंगाना राष्ट्र समिति में शामिल होने का खुला अहवान करते हुए पूरे राज्य में एक व्यापक अभियान शुरू किया गया था।
टीआरएस नहीं कर पाई विपक्षियों का वजूद खत्म
इस अभियान में विपक्षी दलों के विधायकों के अतिरिक्त बडे नेताओं विशेष कर टीडीपी के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को टीआरएस में शामिल करने पर खासा ध्यान दिया गया था। इतना ही नहीं, तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने वर्ष 2019 के चुनाव तक वे ‘आंध्रा पार्टी’ टीडीपी के मुख्यालय एनटीआर भवन पर ताला लगाने का भी दावा किया था । हालाँकि वर्ष 2014 से 2018 तक के दौर में टीआरएस ने भले ही कई कल्याणकारी योजनाएं चलाने के साथ समाज के हर तबके को खुश करने की कोशिश की है, लेकिन विपक्षियों का वजूद खत्म करना उसके लिए संभव नहीं रहा।
इसके अतिरिक्त पृथक तेलंगांना के आंदोलन में जॉइंट एक्शन कमीटी के सदस्य तौर पर महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रो. कोदंडराम जैसे ‘इंटलेक्चुअल’ और गदर जैसे ‘क्रांतिकारी’ की उपेक्षा भी बताया जा रहा है। यही वज़ह है कि पृथक तेलंगाना के गठन के बाद भारी बहुमत से जीत दर्ज करने वाली टीआरएस के खिलाफ टीपीडी के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और प्रो. कोदंडराम द्वारा नवगठित तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) कांग्रेस के नेतृत्व में बनाए जा रहे महागठबंधन का हिस्सा बनने जा रही है।
ये फैक्टर टीआरएस के लिए खतरनाक
इस महागठबंधन से जहाँ एक ओर कांग्रेस पार्टी तेलंगाना को पृथक राज्य का दर्जा देने का अहम फैसला लेने के अपने श्रेय के साथ मतदाताओं के पास जाने की कोशिश करेगी, वहीं तेलुगु देशम पार्टी की नज़रें पृथक तेलंगाना के गठन के बाद भी इस क्षेत्र में बसे उन सीमांध्र वासियों पर रहेंगी, जो निश्चित तौर पर टीडीपी का समर्थन करेंगे। इन दोनों पार्टियों के अलावा महगठबंधन को ‘इंटलेक्चुअल सपोर्ट’ देने का काम प्रो. कोदंडराम अपनी नवगठित पार्टी टीजेएस के ज़रिए करेंगे, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अपने वामपंथी समुदाय के बलबूते पर इसे और अधिक मजबूत करने की कोशिश करेंगे। शायद यही वजह है कि कांग्रेस नीत महागठबंधन से टीआरएस के नेता सोचने पर मजबूर हो रहे हैं और आवाम को इस महागठबंधन को सत्ता से दूर रखने की अपील करते नज़र आ रहे हैं। इनमें से पार्टी के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव अपने विकास कार्यों के साथ प्रबल क्षेत्रीयता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनके बेटे के. तारक रामाराव उनके विपरीत भूमिका अपनाते हुए तेलंगाना में बसे सीमांध्र के लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
के. चंद्रशेखर राव की पुत्री और निज़ामाबाद की सांसद के. कविता ने दिया ये बयान
के. चंद्रशेखर राव की पुत्री और निज़ामाबाद की सांसद के. कविता ने बयान दिया है कि इस महागठबंधन से टीडीपी कमज़ोर हो चुकी कांग्रेस को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि टी. हरिश राव प्रस्तावित महागठबंधन का सत्ता में आना तेलंगाना के लिए खतरनाक बताते हुए पृथक तेलंगाना के विकास के लिए प्रस्तावित चुनाव में फिर से टीआरएस के सत्ता में लौटना आवश्यक बता रहे हैं। इस महागठबंधन को लेकर कांग्रेस ने साफ किया है कि वह तेलंगाना विधानसभा कि कुल 119 सीटों में से 95 सीटों पर खुद चुनाव लडेगी और 24 सीटें अन्य गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के लिए छोड़ी जाएंगी। इन 24 में से टीडीपी को 14 टीजेएस को 7 तथा भाकपा को 3 सीट देने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालाँकि इस बारे में जल्द ही आपसी सुलह कर सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला करने के आसार बताए जा रहे हैं।