जलवायु संकट से निपटने की प्रौद्योगिकी सभी के लिए वहनीय कीमत पर उपलब्ध हो: जावड़ेकर

By भाषा | Published: April 29, 2020 05:14 AM2020-04-29T05:14:32+5:302020-04-29T05:14:32+5:30

यह सम्मेलन यूनाइटेड फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट (यूएनएफसीसीसी) के तहत होगा। पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, मंत्री ने भारत-जर्मनी द्विपक्षीय वार्ता में भी हिस्सा लिया।

Technology to tackle climate crisis should be available to all at affordable cost: Javadekar | जलवायु संकट से निपटने की प्रौद्योगिकी सभी के लिए वहनीय कीमत पर उपलब्ध हो: जावड़ेकर

जलवायु संकट से निपटने की प्रौद्योगिकी सभी के लिए वहनीय कीमत पर उपलब्ध हो: जावड़ेकर

Highlightsउल्लेखनीय है कि इस संवाद की अध्यक्षता जर्मनी और ब्रिटेन ने की जिनके पास 26वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 26) की अध्यक्षता आने वाली है। जलवायु वित्त के मुद्दे पर पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अब दुनिया को अधिक धन की जरूरत है।

नयी दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह दुनिया एकजुट होकर कोविड-19 के टीके की तलाश कर रही है उसी प्रकार देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रौद्योगिकी को मुक्त स्रोत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए और यह वहनीय कीमत पर उपलब्ध होना चाहिए। जावडेकर ने यह बात पीटर्सबर्ग जलवायु वार्ता के 11वें सत्र में 30 देशों के साथ ऑनलाइन संवाद में कही।

भारत 30 देशों के साथ संवाद में शामिल हुआ जिसका उद्देश्य कोविड-19 की महामारी के बाद अर्थव्यवस्था और समाज को पुनजीर्वित करने की चुनौती से निपटने के उपायों पर विचार करना, सामूहिक लचीलेपन को बढ़ावा देना तथा जलवायु कार्रवाई को उत्प्रेरित करने के साथ-साथ विशेष रूप से उन लोगों का समर्थन करना था जो सबसे कमजोर हैं। जावडेकर ने कहा, ‘‘ आज पूरी दुनिया एकजुट होकर कोरोना वायरस का टीका तलाशने में लगी है, इसी तरह हमें जलवायु प्रौद्योगिकी को खुला स्रोत बनाना चाहिए और यह सभी के लिए वहनीय कीमत पर उपलब्ध होना चाहिए।’’

जलवायु वित्त के मुद्दे पर पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अब दुनिया को अधिक धन की जरूरत है। ‘‘ हमनें 1000 अरब डॉलर का अनुदान विकासशील देशों को तत्काल देने की योजना बनाई थी।’’ मंत्री ने कहा कि स्थायी जीवनशैली के लिए दुनिया को अधिक स्थायी खपत वाले तरीके अंगीकार करने के बारे में विचार करना चाहिए जैसा कि पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज में कहा था। उल्लेखनीय है कि इस संवाद की अध्यक्षता जर्मनी और ब्रिटेन ने की जिनके पास 26वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 26) की अध्यक्षता आने वाली है।

यह सम्मेलन यूनाइटेड फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट (यूएनएफसीसीसी) के तहत होगा। पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, मंत्री ने भारत-जर्मनी द्विपक्षीय वार्ता में भी हिस्सा लिया। जर्मनी का प्रतिनिधित्व वहां के संघीय पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा मंत्री स्वेन्जा शुलज़े ने की। यह बातचीत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई और इस दौरान जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग सहित तमाम विषयों पर चर्चा की गई। 

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