बिहार: शिक्षक दिवस पर अध्यापकों ने किया स्कूल का बहिष्कार, समान वेतन की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन
By एस पी सिन्हा | Published: September 5, 2019 04:34 PM2019-09-05T16:34:34+5:302019-09-05T16:37:16+5:30
सूबे के करीब 72 हजार स्कूलों के नियोजित शिक्षकों ने समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर राजधानी पटना में धरना दिया. समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राज्य के कोने-कोने से नियोजित शिक्षक पटना पहुंचे.
शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षण संस्थानों के खुले रहने के बिहार सरकार के निर्देश के बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षक राजधानी पटना पहुंचे. ‘समान काम-समान वेतन’ की मांग को लेकर शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले बिहार के नियोजित शिक्षकों ने आज शिक्षक दिवस के मौके पर पटना में विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की.
सूबे के करीब 72 हजार स्कूलों के नियोजित शिक्षकों ने समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर राजधानी पटना में धरना दिया. समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राज्य के कोने-कोने से नियोजित शिक्षक पटना पहुंचे. इन शिक्षकों में महिला और पुरूष दोनों शामिल हैं.
शिक्षकों ने नीतीश सरकार पर अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की है. सरकार की चेतावनी के बाद भी शिक्षकों ने शिक्षक दिवस नहीं मनाया और 5 सितंबर को ही हड़ताल कर दी. सुबह से ही राजधानी के आर ब्लॉक से लेकर गर्दनीबाग इलाके सील रहने के बाद भी शिक्षक अपनी रणनीति में कामयाब हुए और गर्दनीबाग में हजारों की संख्या में पहुंचकर प्रदर्शन किया. आलम यह रहा कि सड़क जाम कर गर्दनीबाग में चारो तरफ शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो प्रशासन के लिए चुनौती बना रहा.
पुलिस के अधिकारी शिक्षकों को मनाने और शांत कराने का हर संभव प्रयास करते रहे, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे. पटना में शिक्षकों के विरोध से स्थिति तनावपूर्ण बनी रही. विरोध करने वालों में महिला शिक्षिकाएं भी शामिल हैं. इसमें प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर के शिक्षक शामिल हैं.
बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोप गुट ने विभिन्न शिक्षक संघों द्वारा आहुत हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा है कि राज्य के लाखों शिक्षकों द्वारा शिक्षक दिवस पर वेदना प्रकट करना राज्य सरकार के लिए ठीक नहीं है. महासंघ के महासचिव प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग की है कि शिक्षकों की जायज मांगों पर सकारात्मक निर्णय लें.
यहां बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने 28 अगस्त को अधिसूचना जारी कर शिक्षक दिवस के मौके पर सभी स्कूलों को हर हाल में खोलने और शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया था. आदेश में कहा गया था कि शिक्षक दिवस को विद्यालय स्तर पर शिक्षक दिवस मनाया जाये. शिक्षक दिवस के मौके पर सभी विद्यालय खुले रहेंगे. शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति के साथ-साथ उपस्थित नहीं होने वाले शिक्षकों पर नियमानुसार कार्रवाई की बात कही गई थी. इधर, नियोजित शिक्षकों ने शिक्षक दिवस को 'काला दिवस' के रूप में मनाते हुए बिहार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने और मुख्यमंत्री-शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव करने को लेकर पटना पहुंचे.
वहीं, शिक्षकों के प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं. सरकार ने प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी. कई जगह बैरिकेडिंग कर गाड़ियों को रोका गया. प्रदर्शन स्थल गर्दनीबाग में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किये गये थे. एक जगह पर पांच लोगों के साथ खड़ा होने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी.
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वह नियोजित शिक्षकों को फिलहाल समान काम के लिए समान वेतन नहीं देने जा रहे हैं. आज पटना में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह के मौके पर नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शिक्षकों का तनख्वाह चार हजार से बढ़ाकर वेतनमान में किया गया. हमने सातवां वेतनमान भी दिया. लेकिन लोग मेरे ही विरोध में नारा लगा रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के नियोजित शिक्षकों पर तंज कसते हुए कहा कि मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे, मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैं काम करता हूं और करता रहूंगा. नियोजित शिक्षकों को संदेश देते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जो भी करना होगा, हम ही करेंगे. दूसरा कोई कुछ करने वाला नहीं है. सिर्फ मांग मत करिए, बच्चों को पढ़ाइए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज शिक्षकों के सम्मान का दिन है. शिक्षकों को पूरा देश सम्मान की दृष्टि से देखता है, यह बात शिक्षकों को भी याद रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आप मेरे विरोध में नारा लगाएं, ये आपका काम है. मुख्यमंत्री ने इशारों ही इशारों में शिक्षकों के आंदोलन पर कई सवाल खड़े किये और विपक्षियों को भी आडे हांथ लिया. नियोजित शिक्षकों के लिए नीतीश कुमार ने कहा कि शिक्षकों के लिए उन्होंने कितना किया, यह याद कर लीजिए. आप मेरे खिलाफ नारा लगाते रहिये, मुझ पर कोई फर्क नही पड़ता. हमने शिक्षकों के हित मे काम किया है. पहले डेढ़ हजार मिलता था, आज सातवां वेतन दे रहे हैं. फिर भी मेरे खिलाफ नरेबाजी करते हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि नियोजित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में बड़े-बड़े वकील रखे थे, लेकिन केस खारिज हो गया. उन्होंने कहा कि आपके लिए हम ही कुछ करेंगे, दूसरा कोई कुछ नही करेगा. केवल मांग मत करिए, बच्चो को पढ़ाइए. मांग तो हमें ही मानना है.
मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अभी आपके पक्ष में बोलने वाले पहले क्या बोलते थे? अयोग्य शिक्षक की बहाली की जा रही है. उससमय भी हमने कहा था कि कोई अयोग्य नहीं है. पूरे तरीके से टेस्ट लिया था. साथ ही शिक्षकों को मूल दायित्वों की याद दिलाई. मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में बिहार में हुए काम को बताया. कहा कि बिहार में शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में काम हुआ है. गांव-गांव स्कूल खुले तो राज्य में कई बड़े शिक्षण संस्थान भी खुले. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आप बच्चों को नहीं पढ़ाएंगे तो हमें तकलीफ होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मैं सांसद था तो मोकामा घूमने के दौरान मुझसे एक बच्चे ने पूछा कि हम पढ़ेंगे नहीं क्या? तो मैं आश्चर्यचकित हो गया, इसके बाद जब मैंने मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला तो देखा कि 12.50 प्रातिशत बच्चे स्कूल से बाहर थे. लेकिन अब वक्त बदल चुका है और बच्चे स्कूल जा रहे हैं. अब एक प्रातिशत से भी कम बच्चे स्कूल से बाहर हैं. हमने लड़कियों के लिए साईकिल योजना शुरू की तो इससे बिहार की शिक्षा में बड़ा परिवर्तन आया. इस मौके पर 20 शिक्षकों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया.
उधर, शिक्षकों की मांग को जन अधिकार पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है और पार्टी अध्यक्ष पूर्व सांसद पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन भी शिक्षकों के साथ धरने पर बैठ गए. पप्पू यादव ने नियोजित शिक्षकों के समर्थन में आवाज बुलंद करते हुए शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा को नासमझ करार देते हुए आपत्तिजनक शब्द का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री गोबर हैं, उन्हें कुछ नहीं पता. शिक्षकों को समान वेतन देना ही होगा. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को प्रदर्शन की अनुमति भी नहीं दी जा रही. यह नेपोलियन और हिटलर का देश नहीं है. शिक्षकों की बात नहीं मानी गई तो हंगामा होगा. सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाया हुआ है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.