शर्मनाक: हरियाणा में शिक्षक ने कम अंक पाने पर 9 वर्षीय दलित लड़की का किया मुंह काला, केस दर्ज
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 10, 2019 08:24 AM2019-12-10T08:24:10+5:302019-12-10T08:25:30+5:30
पुलिस ने कहा कि शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा पुलिस ने कहा, “प्रारंभिक जांच के बाद, हमने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 के तहत स्कूल शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
कथित घटना पिछले शुक्रवार को हरियाणा स्थित हिसार शहर में घटी है। एचटी खबर के मुताबिक, एक निजी स्कूल के शिक्षक ने एक काले रंग की स्केच पेन का इस्तेमाल कर कक्षा 4 के 9 वर्षीय छात्रा के चेहरे को काला कर दिया। इसके बाद छात्रा को स्कूल के सभी कक्षाओं में ले जाया गया। यही नहीं शिक्षक द्वारा स्कूल के दूसरे छात्रों को छात्रा पर "शर्म" चिल्लाने के लिए कहा गया।
इस मामले में पुलिस ने एक निजी स्कूल की एक महिला शिक्षक पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने यह केस अंग्रेजी भाषा की परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने पर नौ वर्षीय दलित लड़की और उसके कुछ सहपाठियों के चेहरे को काला करने के जुर्म में दर्ज किया है।
लड़की के पिता ने बताया कि मेरी बेटी ने शनिवार को स्कूल जाने से इनकार कर दिया। जब मैंने उससे कारण पूछा, तो वह रोती रही। बाद में, मेरी छोटी बेटी ने मुझे पूरी घटना सुनाया।
इसके बाद परिवार ने रविवार शाम को शिक्षक और स्कूल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। खबर के अनुसार, स्कूल के अधिकारी, शिक्षक और प्रिंसिपल सभी टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध थे।
पुलिस ने कहा कि शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा पुलिस ने कहा, “प्रारंभिक जांच के बाद, हमने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 के तहत स्कूल शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जब हमने सोमवार को स्कूल का दौरा किया, तो हमने स्कूल के गेटों को बंद पाया।”
खबर की मानें तो इस घटना से स्थानीय लोगों में स्कूल प्रशासन के प्रति गुस्सा है। पिता ने कहा, "चूंकि पूरा स्कूल परिसर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है, इसलिए हमने पुलिस को सबूत इकट्ठा करने और कड़ी कार्रवाई करने के लिए फुटेज की जांच करने को कहा है।"
अखिल भारतीय अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष अशोक भारती ने कहा, "दुर्भाग्य से, कई स्कूल अभी भी उन लोगों द्वारा संचालित हैं जो एक जातिवादी मानसिकता के साथ आते हैं जो कमजोर वर्गों को इंसान के रूप में नहीं देखते हैं।"