CAA पर बोलीं तस्लीमा नसरीन, मुझ जैसे लोग को भारत में रहने का अधिकार मिला, ‘बहुत अच्छा’ और ‘उदार’ है

By भाषा | Published: January 18, 2020 01:31 PM2020-01-18T13:31:07+5:302020-01-18T13:31:07+5:30

निर्वासित जीवन बिता रही लेखिका ने कहा, ‘‘ लेकिन मैं मानती हूं कि मुस्लिम समुदाय में मुझ जैसे लोग, स्वतंत्र विचारक और नास्तिक हैं जिनका उत्पीड़न पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किया जाता है और उन्हें भारत में रहने का अधिकार मिलना चाहिए।’’

Taslima Nasreen spoke at CAA, people like me got the right to live in India, are 'very good' and 'liberal' | CAA पर बोलीं तस्लीमा नसरीन, मुझ जैसे लोग को भारत में रहने का अधिकार मिला, ‘बहुत अच्छा’ और ‘उदार’ है

नसरीन ने मुस्लिम नास्तिक ब्लॉगर का उदाहरण दिया जिनकी हत्या कुछ साल पहले बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामिक आतंकवादियों ने कर दी थी।

Highlightsनसरीन ने यह बात केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन ‘‘ निर्वासन : लेखक की यात्रा’’ सत्र में कही। 31 दिसंबर 2014 से पहले तक यहां आए और छह साल से देश में रह रहे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को ‘बहुत अच्छा’ और ‘उदार’ करार देते हुए कहा कि कानून में पड़ोसी देशों के स्वतंत्र मुस्लिम विचारकों, नारीवादियों और धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए छूट दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनने में अच्छा लगता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगनिस्तान में धार्मिक कारण से उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी। यह बहुत अच्छा विचार है और बहुत ही उदार है।’’

निर्वासित जीवन बिता रही लेखिका ने कहा, ‘‘ लेकिन मैं मानती हूं कि मुस्लिम समुदाय में मुझ जैसे लोग, स्वतंत्र विचारक और नास्तिक हैं जिनका उत्पीड़न पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किया जाता है और उन्हें भारत में रहने का अधिकार मिलना चाहिए।’’

नसरीन ने यह बात केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन ‘‘ निर्वासन : लेखक की यात्रा’’ सत्र में कही। उल्लेखनीय है कि संसद से 11 दिसंबर को पारित सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

31 दिसंबर 2014 से miपहले तक यहां आए और छह साल से देश में रह रहे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए नसरीन ने मुस्लिम नास्तिक ब्लॉगर का उदाहरण दिया जिनकी हत्या कुछ साल पहले बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामिक आतंकवादियों ने कर दी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ इनमें से कई ब्लॉगर अपनी जान बचाने के लिए यूरोप या अमेरिका चले गए, क्यों नहीं वे भारत आए? भारत को आज मुस्लिम समुदाय से और स्वतंत्र विचारकों, धर्मनिरपेक्षवादियों, नारीवादियों की जरूरत है।’’ उल्लेखनीय है कि हाल में उनकी किताब ‘‘ बेशरम’’ आई है जो उनकी प्रचलित कृति ‘‘लज्जा’’ की कड़ी है।

तसलीमा ने देशभर में सीएए का हो रहे विरोध को ‘‘अद्भुत’’ करार दिया लेकिन साथ ही इसमें कट्टरपंथियों के शामिल होने पर आलोचना की। 57 वर्षीय लेखिका ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि कट्टरपंथ चाहे बहुसंख्यक समुदाय से हो या अल्पसंख्यक दोनों खराब है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ क्या ये मुस्लिम कट्टरपंथी धर्मनिरपेक्ष हैं? क्या वे धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते है? नहीं, इसलिए उन्हें (सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले) इन लोगों को अलग करना चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय के कट्टरपंथी हो या और बहुसंख्यक समुदाय के कट्टरपंथी, दोनों एक हैं क्योंकि दोनों ही प्रगतिशील समाज और महिला समानता के खिलाफ हैं।’’

तसलीमा ने कहा कि भारत में संघर्ष नया नहीं और न ही यह हिंदू और इस्लाम के बीच है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर भारत में अभी संघर्ष है लेकिन यह हिंदू धर्म और इस्लाम के बीच नहीं है। यह धार्मिक कट्टरता और धर्मनिरपेक्षता के बीच है, यह आधुनिकतावाद और आधुनिकता विरोधियों के बीच है, यह तार्किक दिमाग और अतार्किक अंधविश्वास के बीच है, यह नवोन्मेष और परंपरा के बीच है, यह मानवता और बर्बरता के बीच है... यह नया नहीं है दुनिया में हर जगह है।’’

उल्लेखनीय है कि नसरीन को 1994 में कट्टरपंथियों की धमकी की वजह से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वह 2004 से नयी दिल्ली में निवास परमिट के आधार पर रह रही हैं।

Web Title: Taslima Nasreen spoke at CAA, people like me got the right to live in India, are 'very good' and 'liberal'

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