‘तमिलनाडु को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिये प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए’

By भाषा | Published: August 21, 2021 11:01 PM2021-08-21T23:01:56+5:302021-08-21T23:01:56+5:30

'Tamil Nadu should not be harassed for controlling population' | ‘तमिलनाडु को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिये प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए’

‘तमिलनाडु को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिये प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए’

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए तमिलनाडु राज्य को आर्थिक रूप से और प्रतिनिधित्व के आधार पर सताया नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने इसके साथ ही कुछ सवाल उठाये और राज्य एवं केंद्र सरकारों से उपचारात्मक उपायों का आह्वान किया।न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की एक खंडपीठ ने ये सवाल बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका के रूप में 2020 में दायर एक रिट याचिका को खारिज करते हुए उठाये।पीठ ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि चार सप्ताह बाद तय करते हुए कहा, ‘‘चूंकि रिट याचिका जनहित याचिका के रूप में दायर की गई है, अनुरोध को नकारते हुए यह अदालत जनता के हित में निम्नलिखित प्रश्न उठाती है .....।’’मामले की प्रभावी सुनवायी के लिए पीठ ने द्रमुक, अन्नाद्रमुक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भाजपा सहित राज्य के सभी 10 राजनीतिक दलों को पक्ष-प्रतिवादी बनाया।पीठ द्वारा उठाया गया पहला सवाल यह था कि क्या तमिलनाडु और इसी तरह के राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन राज्य से चुने जा सकने वाले संसद सदस्यों की संख्या में कमी करके किया जा सकता है, जिन्होंने जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू किया है और ऐसा करके राज्य की जनसंख्या को कम किया है। पीठ द्वारा उठाया गया अन्य सवाल यह था कि क्या जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू नहीं कर सके, उन्हें संसद में अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ लाभान्वित किया जा सकता है, क्यों न अदालत प्रतिवादियों को जनसंख्या के अनुसार भविष्य की जनगणना के आधार पर तमिलनाडु से चुने जाने वाले सांसदों की संख्या को और कम करने से रोके। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्यों न केंद्र सरकार 5,600 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करें क्योंकि 1962 के बाद से तमिलनाडु के 14 चुनावों में 28 जनप्रतिनिधि कम हो गए, क्यों न प्राधिकारी राज्य को 41 सांसद सीटों को बहाल करें जो 1962 के आम चुनाव तक थी, क्योंकि जनसंख्या नियंत्रण के कारण दो सांसद सीटें कम हो गई थीं।अदालत का अन्य सवाल यह था कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव के साथ आगे क्यों नहीं आई कि जो राज्य अपनी आबादी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हैं उन्हें लोकसभा सीटों की संख्या में कमी के अनुरूप राज्यसभा में समान संख्या में सीटें दी जाएगी। पीठ ने भारत के चुनाव आयोग सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब चार सप्ताह में दिया जाना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: 'Tamil Nadu should not be harassed for controlling population'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :Sabha