तमिलनाडु में सियासी संग्रामः 2021 में विधानसभा चुनाव, कमल हासन और रजनीकांत के बाद खुशबू सुंदर, क्या बीजेपी में सियासी असंतोष खत्म होगा?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: October 12, 2020 07:16 PM2020-10-12T19:16:25+5:302020-10-12T19:16:25+5:30
तमिलनाडु में जयललिता युग समाप्त हो चुका है और अभी सीएम की कुर्सी पर गैर-सिनेमाई राजनेताओं का कब्जा है. तमिलनाडु विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, ऐसे में क्या दक्षिण भारत की राजनीति में फिर से सिनेमा के सितारे सफल हो पाएंगे या सियासत सिनेमा-मुक्त हो जाएगी.
दक्षिण भारत की राजनीति उत्तर भारत से थोड़ी अलग है. वहां सियासी सफलता का रास्ता सिनेमा से होकर गुजरता है. यही वजह है कि सिनेमा में कामयाब होने के बाद यहां के फिल्मी सितारे सियासत के बारे में सोचने लगते हैं. दक्षिण भारत के दो सुपर स्टार कमल हासन और रजनीकांत पहले से ही राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं और अब एक और नाम खुशबू सुंदर का उभरा है.
तमिलनाडु में जयललिता युग समाप्त हो चुका है और अभी सीएम की कुर्सी पर गैर-सिनेमाई राजनेताओं का कब्जा है. तमिलनाडु विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, ऐसे में क्या दक्षिण भारत की राजनीति में फिर से सिनेमा के सितारे सफल हो पाएंगे या सियासत सिनेमा-मुक्त हो जाएगी. खबर है कि मशहूर स्टार और नेता खुशबू सुंदर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली है, परन्तु बड़ा सवाल यह है कि क्या यहां भी खुशबू सुंदर का सियासी असंतोष समाप्त होगा?
उन्हें राजनीति में कदम रखे करीब एक दशक हो चुका है, लेकिन उम्मीदों के अनुरूप कामयाबी नहीं मिल पाई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खुशबू सुंदर क्या कुछ कर पाएंगी, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि बीजेपी में उन्हें क्या हासिल होगा. यकीनन, बीजेपी को दक्षिण भारत के लिए एक लोकप्रिय राजनेता तो मिल जाएंगा, किन्तु बीजेपी को मजबूत सियासी आधार मिल पाएगा, यह कहना मुश्किल है.
बतौर एक्ट्रेस और प्रोड्यूसर खुशबू सुंदर की विशेष पहचान है, जिन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. वैसे तो खुशबू सुंदर ने बॉलीवुड में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग की शुरुआत की थी, परन्तु उन्हें असली कामयाबी दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री में मिली. उन्होंने रजनीकांत, कमल हासन, नागार्जुन, वेंटकेश जैसे कई फिल्म स्टार्स के साथ काम किया.
ग्लैमर वल्र्ड में सफल होने के बाद वर्ष 2010 में खुशबू सुंदर ने राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने सबसे पहले डीएमके ज्वाइन की थी, जब एम. करुणानिधि इसके सर्वेसर्वा थे. उन्हीं के नेतृत्व में खुशबू ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. लेकिन, वर्ष 2014 में खुशबू सुंदर कांग्रेस में आ गई. कांग्रेस नेता के बतौर वे टीवी डिबेट्स में विभिन्न मुद्दों पर पार्टी का पक्ष रखती रही थी.
धीरे-धीरे कांग्रेस में भी उनका सियासी असंतोष उभरने लगा, तो वे बीजेपी में चली गई हैं. तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव मई 2021 में होने हैं. जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके में कोई बड़ा फिल्मी चेहरा नहीं है, तो डीएमके और कांग्रेस से वे नाता तोड़ चुकी हैं. कर्नाटक के बाद बीजेपी तमिलनाडु में सियासी जमीन तलाश रही है. सियासी सयानों का मानना है कि तमिलनाडु में बीजेपी की कोई खास स्वीकार्यता नहीं है. इसलिए, खुशबू सुंदर यदि बीजेपी को यहां कामयाबी दिला पाती है, तो यह राजनीतिक चमत्कार ही होगा!