तमिलनाडु घटना पर राजद में रार, तेजस्वी ने कहा- बिहारियों पर हमला नहीं हुआ, शिवानंद बोले-अत्यंत गंभीर घटना, सरकार उठाए कदम
By एस पी सिन्हा | Published: March 3, 2023 08:13 PM2023-03-03T20:13:54+5:302023-03-03T20:14:59+5:30
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर हिंसक हमला अत्यंत गंभीर घटना है। घटना संकेत दे रही है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं अन्य प्रांतों में भी हो सकती हैं।
पटनाः तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हुए कथित हमले के मामले में राजद के अंदर ही मतभिन्नता उभरकर सामने आई है। एक ओर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि तमिलनाडु में बिहारियों पर हमला नहीं हुआ है, तो दूसरी ओर उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी की बातों को खारिज कर दिया है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर हिंसक हमला अत्यंत गंभीर घटना है। यह घटना संकेत दे रही है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं अन्य प्रांतों में भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या सुरसा की तरह बढ़ती जा रही है।
शिवानंद तिवारी ने कहा कि उन राज्यों में जिनको हम विकसित मानते हैं और जहां बेरोजगारी दर कम थी, वहां भी बेरोजगारी तेज रफ्तार से बढ़ रही है। अब तक वहां बिहार के श्रमिकों का स्वागत होता था। स्वागत सिर्फ इसलिए नहीं होता था कि वहां स्थानीय मजदूर उपलब्ध नहीं थे बल्कि इसलिए भी स्वागत होता था कि बिहार के श्रमिक कम मजदूरी में भी हाड़ तोड़ काम करने को तैयार रहते हैं।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के पदाधिकारी भले ही वहां बिहारी मजदूरों पर हुए हमलों से इंकार करें। लेकिन तथ्य यही है कि वहां बिहार के मजदूरों पर एक जगह नहीं कई जगहों पर हमला हुआ है। इसलिए इसे नियोजित भी माना जा सकता है। हमलावरों की शिकायत है कि इन लोगों की वजह से हमें काम नहीं मिलता है। ये लोग कम मजदूरी पर भी काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
बिहारी मजदूरों के प्रति वहाँ आक्रोश बहुत तीव्र दिखाई दे रहा है। कुल्हाड़ी से हमला और दो लोगों की मौत से ही इसकी पुष्टि हो रही है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि अब तक के अनुभव से यह स्पष्ट हो चुका है कि उद्योगीकरण द्वारा विकास की नीति से बेरोजगारी की समस्या का समाधान संभव नहीं है। बल्कि विकास की इस नीति को रोजगार विहीन विकासनीति कहा जाना चाहिए।
आधुनिक यंत्रो ने मनुष्य को काम से बेदखल कर दिया है। बड़े बड़े उद्योगों में तो मशीनी आदमी (रोबोट्स) का इस्तेमाल हो रहा है। अब तो मनुष्य की तरह सोच समझ रखने वाले मनुष्य के निर्माण की दिशा में भी विज्ञान कदम बढ़ चुका है।
दुनिया के आम आदमी की हैसियत, तीव्र गति से सोच, समझ और निर्णय करने की क्षमता रखने वाले इस मशीनी आदमी के समक्ष क्या होगी, यह कल्पना भी मेरे जैसे आदमी को डराती है। विकास की यह यात्रा मनुष्य को निरर्थक बनाने की दिशा में तेज़ी के साथ आगे बढ़ रही है।