तलाक-ए-बिद्दत के बाद तलाक-ए-हसन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, मुस्लिम पुरुषों को देता है निकाह तोड़ने का एकाधिकार

By रुस्तम राणा | Published: May 2, 2022 06:51 PM2022-05-02T18:51:19+5:302022-05-02T18:51:19+5:30

मुस्लिम महिला की तरफ से दायर याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए। याचिकाकर्ता खुद भी तलाक-ए-हसन से पीड़ित हैं।

talaq e hasan challenged in the supreme court victim muslim woman filed petition in supreme court triple talaq | तलाक-ए-बिद्दत के बाद तलाक-ए-हसन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, मुस्लिम पुरुषों को देता है निकाह तोड़ने का एकाधिकार

तलाक-ए-बिद्दत के बाद तलाक-ए-हसन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, मुस्लिम पुरुषों को देता है निकाह तोड़ने का एकाधिकार

Highlightsयाचिकाकर्ता खुद भी तलाक-ए-हसन से पीड़ितकहा- देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ रही हूंमहिला ने याचिका में तलाक-ए-हसन को निरस्त करने की मांग की

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-बिद्दत के बाद तलाक-ए-हसन के खिलाफ याचिका दायर की गई है। तलाक ए हसन मुस्लिम पुरुषों को निकाह तोड़ने का एकाधिकार देता है। इसके खिलाफ गाजियाबाद की रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने देश की शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।

मुस्लिम महिला की तरफ से दायर याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए। याचिकाकर्ता खुद भी तलाक-ए-हसन से पीड़ित हैं।

याचिकाकर्ता का नाम बेनजीर है। साल 2020 में दिल्ली के रहने वाले युसुफ नकी से शादी हुई थी। महिला का 7 महीने का बच्चा भी है। पिछले साल दिसंबर में पति ने एक घरेलू विवाद के बाद महिला को घर से बेदखल कर दिया था और 5 महीने तक महिला के शौहर ने उससे कोई संपर्क नहीं रखा।

ऐसे में अचानक से युसुफ ने वकील के ज़रिए डाक से एक चिट्ठी भेज दी। इसमें कहा है कि वह तलाक-ए-हसन के तहत पहला तलाक दे रहे हैं। दरअसल इसमें शौहर अपनी बेगम को 1-1 महीने के अंतर पर 3 बार लिखित या मौखिक रूप से तलाक बोल कर शादी रद्द कर सकता है।

महिला ने एक न्यूज चैनल के माध्यम से यह कि संविधान जो अधिकार उनकी हिंदू, सिख, ईसाई सहेलियों को देता है, उससे वह वंचित है। अगर उन्हें भी कानून का समान संरक्षण हासिल होता तो उनके पति इस तरह एकतरफा तलाक नहीं दे सकते थे। उन्होंने कहा है इस तलाक के खिलाफ कोर्ट में देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ाई-लड़ रही हैं। 

बेनजीर ने सुप्रीम कोर्ट से समानता (अनुच्छेद 14) और सम्मान से जीवन जीने (अनुच्छेद 21) जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित रखने का हवाला देते हुए तलाक-ए-हसन को निरस्त करने की मांग की है। बता दें कि इससे पहले साल 2017 में उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक बताते हुए रद्द किया था। 

Web Title: talaq e hasan challenged in the supreme court victim muslim woman filed petition in supreme court triple talaq

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