धर्म संसद: संतों का ऐलान, 21 फरवरी से बनेगा राम मंदिर, सुप्रीम कोर्ट और पीएम मोदी की हुई आलोचना
By पल्लवी कुमारी | Published: January 30, 2019 08:12 PM2019-01-30T20:12:21+5:302019-01-30T20:12:21+5:30
सुप्रीम कोर्ट के रवैये से धर्म संसद के संत काफी नाराज हैं। उन्होंने कहा, 'कुत्ते तक को तत्काल न्याय दिलाने वाले राम के देश में रामजन्मभूमि के मुकदमे को न्याय नहीं मिल रहा है।'
प्रयागराज( इलाहाबाद का बदला हुआ नाम ) में जारी संतों की धर्म संसद में ऐलान राम मंदिर को लेकर ऐलान किया गया है। संत समाज ने कहा है कि फरवरी में वह प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। 'परमधर्म संसद' की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राम मंदिर के निर्माण के लिए 21 फरवरी की तारीक का ऐलान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के रवैये से धर्म संसद के संत काफी नाराज हैं। उन्होंने कहा, 'कुत्ते तक को तत्काल न्याय दिलाने वाले राम के देश में रामजन्मभूमि के मुकदमे को न्याय नहीं मिल रहा है।' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी जिक्र करते हुए संतों ने कहा- पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि कोर्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद केन्द्र सरकार के हिस्से में जो काम होगा, उसमें वह बिल्कुल भी देरी नहीं करेंगे। लेकिन पीएम मोदी अपने इसे वादे पर बिल्कुल खड़े नहीं उतरे हैं।
Swaroopanand Saraswati: We will lay the foundation stone (of Ram temple) there on 21st Feb, 2019...We are not violating any order of the Court. Until the High Court's order is quashed by the Supreme Court, it is still applicable. Wahan Ram Lalla virajman hain, wo janmbhoomi hai. pic.twitter.com/GaLIFccAcf
— ANI UP (@ANINewsUP) January 30, 2019
संतों ने कहा- मोदी सरकार ने रामजन्मभूमि विवाद की न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करवाई है, जिसमें गैर-विवादित जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की बात कही गई है। बता दें कि याचिका में कहा गया है कि 48 एकड़ भूमि रामजन्मभूमि न्यास की है जबकि सच्चाई यह है कि एक एकड़ भूमि के अलावा सारी जमीन उत्तर प्रदेश सरकार की है, जो रामायण पार्क के लिए अधिगृहीत की गई थी।'