अमेरिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा, माने जाते हैं भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनक

By अरविंद कुमार | Published: March 30, 2021 09:21 AM2021-03-30T09:21:02+5:302021-03-30T09:25:35+5:30

स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा "मेरा जीवन संघर्ष" अमेरिका के मिडलटन में वेस्लियन विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी।

Swami Sahajanand Saraswati autobiography will be studied at American university | अमेरिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा, माने जाते हैं भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनक

अमेरिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा (फाइल फोटो)

Highlightsअमेरिका के मिडलटन में वेस्लियन विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी स्वामी सहजानंद की आत्मकथास्वामी सहजानंद सरस्वती ने 1936 में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन किया था उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 22 जनवरी 1889 को हुआ था स्वामी सहजानंद का जन्म, बिहार रहा कार्यक्षेत्र

देश में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान किसान आंदोलन के सूत्रधार और महान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती की प्रसिद्ध आत्मकथा "मेरा जीवन संघर्ष " अब अमेरिका के विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 22 जनवरी 1889 में जन्मे स्वामी सहजानंद की जीवनी को अंग्रेजी में विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार वाल्टर हाऊजर के साथ अनुवाद करने वाले कैलाश चंद्र झा के अनुसार प्रोफेसर विलियम पिंच ने उन्हें जानकारी दी है कि यह आत्मकथा अमेरिका के मिडलटन में वेस्लियन विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी। 

पिंच दरअसल वाल्टर हाऊजर के छात्र रह चुके हैं और वेस्लियन विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर हैं। साथ ही वे दक्षिण एशिया के विशेषज्ञ हैं।

कैलाश चंद्र झा ने बताया कि हाऊजर और उन्होंने स्वामी जी की आत्मकथा को पहली बार 2015 में अंग्रेजी में अनुदित की। पिंच ने उसे अपने विश्विद्यालय के अंडर ग्रेजुएट के छात्रों के लिए को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। 

स्वामी जी का संपर्क महात्मा गांधी, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राहुल सांकृत्यायन, श्री कृष्ण सिंह जैसे लोगों से रहा था। वे आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गए थे। उनकी आत्मकथा किसान आंदोलन का एक दस्तावेज हैं। उन्होंने 1936 में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन किया था। 

पिंच के बारे में दिलचस्प बात यह है कि उनका जन्म भारत में दिल्ली के होली फेमिली अस्पताल में हुआ था। वे भारत आते रहते हैं। उनकी भारत के बारे में दो किताबें 'पीजेंटस एंड मोंक्स इन ब्रिटिश इंडिया' और 'वॉरियर्स एंड एसेटिक्स इन इंडियन अंपायर्स' काफी चर्चित हुई हैं।

1957 में बिहार के किसान आंदोलन पर शोध करने भारत आए हाऊजर के साथ 45 साल तक सहयोगी रहे कैलाश चंद्र झा ने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों कम से कम बिहार और उत्तरप्रदेश की सरकारों को अमरीका से सबक लेते हुए अपने कॉलेज में स्वामीजी की जीवनी को पढ़ाना चाहिए। 

स्वामीजी गाजीपुर के थे पर उनका कार्यक्षेत्र बिहार में रहा। उनका निधन 26 जून  1950 को पटना में हो गया था। महत्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा की तरह स्वामीजी की आत्मकथा भी काफी चर्चित रही है। 

Web Title: Swami Sahajanand Saraswati autobiography will be studied at American university

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