खुले में शौच से मुक्ति के सरकार ने पेश किए शानदार आंकड़े, जानें क्या है हकीकत ?
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 17, 2018 11:07 AM2018-07-17T11:07:51+5:302018-07-17T11:08:32+5:30
2014 चुनाव के दौरान ही पीएम मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि वह देश को खुले में शौचमुक्त बनाएंगे।
नई दिल्ली, 17 जुलाई: खुले में शौच से मुक्ति का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह सपना एक प्रोजेक्ट की तरह से देशभर में काम कर रहा है। 2014 चुनाव के दौरान ही पीएम मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि वह देश को खुले में शौचमुक्त बनाएंगे। उसी दौरान दो अक्तूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य बनाया। देश को इससे मुक्त करने के लिए मोदी सरकार प्रयास करती भी नजर आ रही है।
पीएओ की ओर से दावा भी किया गया है कि लगभग हर शहर गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। पीएम की ओेर से कहा कि साढ़े तीन सालों में देश के 350 से ज्यादा जिले और साढ़े तीन लाख से ज्यादा गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं। तीन महीने बाद यह सरकारी आंकड़ा और बढ़ गया है लेकिन, जमीनी हकीकत आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल उठा रहे हैं।
सरकारी दावों की मानें तो स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण की सरकारी वेबसाइट पर कुछ आंकड़े पेश किए गए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक 16 जुलाई, 2018 की शाम 5 बजकर 35 मिनट तक कुल 3 लाख 98 हजार 259 गांव खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करार दिए जा चुके हैं। इनमें से 4,465 गांव नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत ओडीएफ करार दिए गए हैं।
जबकि ओडीएफ जिलों की बात की जाए को इनकी संख्या बढ़कर 415 हो गई है और इसी तरह ओडीफ राज्यों की संख्या 19 हो गई है। पेश किए गए सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2 अक्टूबर, 2014 यानी जब प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी, तब देश में मात्र 38.70 फीसदी घरों में ही शौचालय थे जो अब बढ़कर 87.69 फीसदी घरों में बन चुका है। यानी कुल 7 करोड़ 78 लाख 74 हजार 522 घरों में शौचालय बन चुका। बताया गया है कि देश के लगभग हर राज्य को खुले में शौच से मुक्त बनाया गया है। लेकिन खबरों की मानें तो हकीकत इससे परे है। कई ऐसे गांव हैं जहां शौचालय तो बनवाए गए हैं लेकिन उनका उपयोग लोग नहीं कर रहे हैं।
वहीं, बिहार में एक हफ्ते के अंदर साढ़े आठ लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। यानी हर दिन 1 लाख 6 हजार 250 और हर मिनट करीब 4427 शौचालय बने। वहीं, शहरों का भी यही हाल गाजियाबाद को भी सरकार के द्वार खुले में शौच से मुक्त बताया जा चुका है लेकिन फिर भी शहर के बाहर के नजरे हकीकत कुछ और ही बयां करते हैं।