सुषमा स्वराज बनीं 57 इस्लामी देशों की बैठक को सम्बोधित करने वाली पहली भारतीय मंत्री
By भाषा | Published: March 1, 2019 08:49 PM2019-03-01T20:49:14+5:302019-03-01T20:49:14+5:30
सुषमा स्वराज 57 इस्लामी देशों की बैठक को संबोधित करने वाली पहली भारतीय मंत्री हैं।
अबुधाबी, एक मार्च (भाषा) विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को बांग्लादेश एवं मालदीव के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय वार्ता की और क्षेत्रीय स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
यहां इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक को संबोधित करने के बाद सुषमा ने मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमिन से वार्ता की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि सुषमा और शाहिद ने पिछले साल दिसंबर में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की भारत यात्रा के बाद की स्थिति पर चर्चा की और क्षेत्रीय स्थिति को लेकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
बांगलादेश के विदेश मंत्री मोमिन से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा की।
सुषमा 57 इस्लामी देशों की बैठक को संबोधित करने वाली पहली भारतीय मंत्री हैं। पाकिस्तान के सख्त ऐतराज के बाद भी ओआईसी ने भारत को न्योता दिया और सुषमा ने संगठन की बैठक को संबोधित किया। यूएई ने भारत को दिया गया न्योता रद्द करने का पाकिस्तान का अनुरोध ठुकरा दिया, जिसके कारण विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अधिवेशन का बहिष्कार किया।
मुस्लिम जगत में भारत के पक्ष में हो रहा है प्रभाव संतुलन: पूर्व राजदूत
हैदराबाद, एक मार्च (भाषा) संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारत के राजदूत रहे तलमीज अहमद ने कहा कि मुस्लिम जगत में प्रभाव संतुलन भारत के पक्ष में आ रहा है। उन्होंने ओआईसी में भारत के संबोधन को पहली बार ‘ऐतिहासिक भूल’ का सुधार करार दिया।
अबू धाबी में शुक्रवार को इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भाषण के बारे में अहमद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।’’
उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं इसे मुस्लिम जगत में प्रभाव संतुलन को भारत के पक्ष में जाते हुए और पाकिस्तान से दूर होते हुए देखता हूं।’’
उन्होंने कहा कि पचास साल पहले पाकिस्तान के एक जनरल (याहया खान) ने कहा था कि भारत को रबात प्लेटफॉर्म से हटाया जाना चाहिए। वह अचानक से हुए सत्ता परिवर्तन के तहत शासन में आये थे।
अहमद ने कहा, ‘‘50 साल बाद इस ऐतिहासिक भूल को सुधारा जा रहा है। और यह महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान इस इस्लामी मंच से नदारद है।’’