कोझिकोड विमान हादसे में बचे यात्रियों ने सुनाई खौफनाक मंजर की कहानी, कहा- लगा कि घर पहुंच गए, लेकिन अचानक सब कुछ बदल गया
By भाषा | Published: August 9, 2020 06:21 AM2020-08-09T06:21:11+5:302020-08-09T06:21:11+5:30
एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान शुक्रवार को केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें दो पायलट सहित कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई।
कोझिकोड (केरल)। केरल के कोझिकोड में हुई विमान दुर्घटना में जीवित बचे यात्रियों ने शनिवार को कहा कि यह सब पलक झपकते ही हो गया। उन्हें लगा था कि वे घर पहुंच गये, लेकिन विमान हवाईअड्डे पर फिसल गया और 35 गहरी खाई में जा गिरा। दुबई से आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान शुक्रवार शाम यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विदेशों में फंसे भारतीयों को वंदे भारत अभियान के तहत इसके जरिये लाया गया था। विमान में कुल 190 लोग सवार थे। दुर्घटना में दो पायलट सहित कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और उनका यह सफर अधूरा रह गया।
आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट साहिरा बानू अपने तीन बच्चों के साथ 10 महीने पहले पति निजास के पास दुबई गई थी। लेकिन नजदीक के कोट्टकल आर्य वैद्य शाला से नौकरी की पेशकश पाने के बाद उन्होंने केरल लौटने का फैसला किया था। उनकी एक करीबी रिश्तेदार जमीला ने यह बताया। जमीला ने बताया कि साहिरा के दो बच्चे - आठ साल का बेटा और चार साल की बेटी इस हादसे में घायल हो गये, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। लेकिन साहिरा और उनका एक साल के बेटे की मौत हो गई। इस तरह नौकरी पाने की खातिर घर आने का साहिर का सफर अधूरा रह गया।
वहीं, जमीला की एक अन्य रिश्तेदार रूक्साना को इस हादसे में पैरे में चोट लगी जबकि उनकी दो साल की बेटी सुरक्षित है। दुर्घटना में घायल हुए लोगों में केबिन क्रू के चार सदस्य भी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि 149 लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जिनमें से दर्जन भर से अधिक लोगों की हालत गंभीर है। इस दुर्घटना में जीवित बचे कुछ यात्रियों को अब भी सदमे में हैं, अन्य लोग यह समझ नहीं पा रहे कि यह सब कैसे हो गया। कुछ लोग जान बचने का शुक्र मना रहे हैं। जैसे कि रामशाद। वह घायल हो गये लेकिन उनकी पत्नी सुफाइरा और चार साल की बेटी को कोई गंभीर चोट नहीं आई।
कोझिकोड के पास वटकारा के रहने वाले रामशाद ने कहा, ‘‘हमें विमान के जोर से कंपन करने के अलावा और कुछ महसूस नहीं हुआ। शुक्र है कि परिवार बच गया। ’’ दुर्घटना में घायल होने पर यहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत अशरफ ने कहा वह सदमे से अभी तक उभर नहीं पाये हैं। एक अन्य यात्री ने कहा, ‘‘लोग आपातकाली दरवाजे से बारिश के बीच घने अंधेरे में बाहर कूदने लगे।
उन्होंने बताया, ‘‘जैसे ही विमान खाई में गिरा, आपातकालीन दरवाजा खुल गया और लोग जाने बचाने के लिये बाहर कूदने लगे।’’ विजयमोहन ने कहा कि वह एक निजी अस्पताल में इलाजरत हैं। उन्हें मामूली चोट आई है। उन्होंने बताया कि उन्हें लगा था कि यह कोई बुरा सपना है, वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि यह सबस कुछ वास्तव में हो रहा है। पास के मलपरम्बा के रहने वाले विजयमोहन ने कहा, ‘‘मुझे लगा कि यह कोई भयावह सपना है। जब मेरी आंख खुली तो मैं चारों ओर धातु के ढेर देख रहा था।’’ उनकी पत्नी आईसीयू में भर्ती हैं। दंपति बेटे के पास रहने के लिये दिसंबर में दुंबई गये थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वहां फंस गये थे। भयावह घटना के मंजर का जिक्र करते हुए रियास ने कहा कि विमान ने नीचे उतरने की कोशिश करने से पहले दो बार हवाईअड्डे का चक्कर लगाया था। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘मैं पिछली सीट पर था। एक तेज आवाज सुनाई दी और मैं समझ नहीं पाया कि उसके बाद क्या हुआ।’’
एक अन्य यात्री फातिमा ने कहा कि विमान हवाईपट्टी पर जोरदार टक्कर के साथ उतरा और आगे बढ़ गया। यहां एक अस्पताल में इलाजरत अशिक ने दमकलकर्मियों का आभार जताया, जो फौरन मौके पर पहुंचे और घायलों को निकाला। लगातार बारिश और कोरोनो वायरस संक्रमण की परवाह नहीं करते हुए स्थानीय निवासियों ने पुलिस, दमकल कर्मी और अन्य बलों के साथ कंधे से कंधा मिला कर बचाव अभियान में मदद की। एक निजी अस्पताल में चिकित्सक शीमना अजीर ने बताया कि वह स्वयंसेवियों की इच्छा शक्ति देख कर दंग रह गई, जिन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की। यह सब कुछ उन्होंने अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं करते हुए कहा।