सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी पेगासस जासूसी मामले की जांच, सर्वोच्च न्यायालय ने बनायी 3 सदस्यों की जांच समिति
By विनीत कुमार | Published: October 27, 2021 11:11 AM2021-10-27T11:11:49+5:302021-10-27T12:51:12+5:30
Pegasus Spyware Case: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति की घोषणा की है। इसे 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देनी है।
नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला देते हुए विशेषज्ञों की एक समिति के गठन की घोषणा की। कोर्ट ने कहा कि वह तीन सदस्यीय समिति का गठन करने जा रहा है जो सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में काम करेंगे और आठ हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौपेंगे।
कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में दावों की सत्यता की जांच के लिए कमेटी बनाई जा रही है। कोर्ट ने कहा कि निजता के अधिकारों के हनन की जांच जरूरी है। कोर्ट के अनुसार भारतीयों की जासूसी के संबंध में विदेशी एजेंसी के शामिल होने जैसे आरोप गंभीर हैं।
पेगासस मामला: एक्सपर्ट कमेटी में तीन सदस्य
कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी का ऐलान करते हुए कहा कि इसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आरवी रविंद्रन करेंगे। दूसरे सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे।
आदेश सुनाते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमन ने कहा कि हम कानून का शासन सुनिश्चित करना चाहते हैं और हमेशा मौलिक अधिकारों की रक्षा की है। निजता की रक्षा हर कोई चाहता है।
बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?
पेगासस के जरिए 300 से अधिक भारतीयों की जासूसी का आरोप
सुनवाई करते हुे पीठ ने सितंबर में मौखिक टिप्पणी की थी कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी और इजराइली कंपनी एनएसओ के सॉफ्टवेयर पेगासस से कुछ प्रमुख भारतीयों के फोन हैक कर कथित जासूसी करने की शिकायतों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश देगी।
दरअसल ये मामला इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर दुनिया भर में कई लोगों की जासूसी करने से जुड़ा है। हाल में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने खबर दी थी कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए जासूसी की संभावित सूची में 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबर भी शामिल थे।