खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से नोटिस जारी कर मांगी रिपोर्ट
By भाषा | Published: December 9, 2019 09:47 PM2019-12-09T21:47:40+5:302019-12-09T21:47:40+5:30
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून: सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘हमने एक राज्य में जांच की और पाया गया कि यह भूख के कारण मौत का मामला नहीं था।’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत शिकायत निवारण व्यवस्था को लागू करने के बारे में उठाए गए कदमों की जानकारी राज्य सरकारों से मांगने का निर्णय किया। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई तथा न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘हम उस बारे में (भूख से मौत) कुछ नहीं कहना चाहते।’’ पीठ ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर कानून के तहत सभी को भोजन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम और शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में बताने के लिए कहा।
पीठ ने मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की। सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘हमने एक राज्य में जांच की और पाया गया कि यह भूख के कारण मौत का मामला नहीं था।’’
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि भूख से मौत के आरोप ‘‘विस्फोटक मुद्दा’’ है लेकिन कानून के तहत खाद्य सामग्री लोगों को नहीं दिए जाने के सिलसिले में शिकायतों से निपटने के लिए राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में वह जवाब का इंतजार करेंगे।
सोलीसीटर जनरल इस वर्ष जून में मीडिया में आई खबरों का हवाला दे रहे थे कि झारखंड में एक व्यक्ति की मौत भूख से हो गई। वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस ने दावा किया कि देश में भूख के कारण 20 लोगों की मौत हुई, जिसका मेहता ने प्रतिवाद किया। इस पर सीजेआई ने कहा कि ‘‘यह एक विस्फोटक मुद्दा है।’’