चोट लगने के लंबे समय बाद पीड़ित की मौत हो तो भी आरोपी की जिम्मेदारी कम नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

By विनीत कुमार | Published: January 27, 2023 02:28 PM2023-01-27T14:28:02+5:302023-01-27T14:36:18+5:30

Supreme Court says lapse of time between injury, death doesn't reduce liability in murder case | चोट लगने के लंबे समय बाद पीड़ित की मौत हो तो भी आरोपी की जिम्मेदारी कम नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

चोट लगने के लंबे समय बाद पीड़ित की मौत हो तो भी आरोपी की जिम्मेदारी कम नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी शख्स द्वारा दी गई चोट की वजह से काफी समय बाद पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो भी हत्या के मामले में आरोपी की जिम्मेदारी कम नहीं होती है।

मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने कहा, 'कोई धारणा या सूत्र नहीं हो सकता है कि जहां मृत्यु अगर कुछ समय के बाद बाद होती है तो चोट (जिसके कारण मृत्यु हो सकती है), को गैर इरादतन हत्या कहा जा सकता है। हर मामला अलग होता है। हालांकि, जो महत्वपूर्ण है वह ये है कि चोट किस प्रकार की है, और क्या यह सामान्य रूप से किसी को मौत की ओर ले जाने के लिए पर्याप्त है।'

आदेश में आगे कहा गया है कि इस मामले में चिकित्सकीय ध्यान की पर्याप्तता या अन्य कोई चीज प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण हुई थी, जो चोटों की वजह से हुई ।

कोर्ट ने कहा, 'इस प्रकार चोट और मौत करीबी रूप से और सीधे रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं।'

मामले में सुनवाई के दौरान अपीलकर्ताओं के वकील ने कहा था कि हमले के 20 दिन बाद पीड़ित की मृत्यु हो गई थी और इससे पता चलता है कि चोट की वजह से मौत नहीं हुई होगी।

इस मामले में अपीलकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने हत्या के लिए उसे दोषी ठहराते हुए सजा की पुष्टि की थी।

पुलिस के अनुसार फरवरी 2012 में आरोपी ने मृतक पर विवादित जमीन पर जेसीबी चलाने का प्रयास करने पर हमला किया था। पीड़ित की मौत के बाद पीड़ित परिवार ने अपीलकर्ताओं के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कराया था।

आरोपी ने तर्क दिया कि कथित घटना के लगभग बीस दिनों के बाद और सर्जरी में समस्या के कारण पीड़िता की मृत्यु हो गई, इसलिए उसकी कथित हरकतें मौत का कारण नहीं थीं।

कोर्ट ने कहा कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा कि चोटें एक कठोर और धारदार चीज के कारण लगी थीं और मृतक की मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण हुई थी जो उसके शरीर पर कई चोटों और उनकी जटिलताओं के परिणामस्वरूप हुई।

Web Title: Supreme Court says lapse of time between injury, death doesn't reduce liability in murder case

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