यूपी-बिहार में 'चमकी बुखार' पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, मोदी और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

By भाषा | Published: July 15, 2019 07:13 PM2019-07-15T19:13:54+5:302019-07-15T19:15:07+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी की याचिका पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिवों और स्वास्थ सचिवों को नोटिस जारी किये।

Supreme Court Responding to Modi and Nitish government for Chamki Fever in UP-Bihar | यूपी-बिहार में 'चमकी बुखार' पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, मोदी और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

यूपी-बिहार में 'चमकी बुखार' पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, मोदी और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने इन्सेफलाइटिस की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिये तत्काल कदम उठाने और इस बीमारी से प्रभावित लोगों को आवश्यक चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केन्द्र और बिहार तथा उप्र सरकार से जवाब मांगा। न्यायालय में इस मुद्दे पर पहले से ही एक याचिका लंबित है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी की याचिका पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिवों और स्वास्थ सचिवों को नोटिस जारी किये।

इस याचिका पर पहले से ही लंबित एक अन्य याचिका के साथ ही सुनवाई की जायेगी। इस याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार को इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों के इलाज और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिये पर्याप्त सुविधाओं का सृजन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि केन्द्र और राज्य सरकारों की गंभीर लापरवाही की वजह से अब तक बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक सौ से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है और अभी इनकी संख्या बढ़ रही है। याचिका में इस बीमारी के फैलने और एक सौ से अधिक बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने तथा इसके लिये जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिये मेडिकल विशेषज्ञों का एक दल गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

याचिका में कहा गया है कि विशेषज्ञों की इस समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को देनी चाहिए। इसी तरह, याचिका में इस बीमारी की महामारी में जान गंवाने वाले बच्चों के परिवारों को समुचित मुआवजा दिलाने और इस बीमारी की रोकथाम के लिये जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

न्यायालय ने इस मुद्दे पर एक अन्य अधिवक्ता मनोहर प्रताप की याचिका पर 24 जून को राज्य सरकार को सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं के बारे में एक सप्ताह के भीतर अवगत कराने का निर्देश दिया था। मनोहर प्रताप ने अपनी याचिका में कहा था कि बिहार में एक से दस साल के आयुवर्ग के 126 से अधिक बच्चों की इस बीमारी से मृत्यु हो चुकी है। 

Web Title: Supreme Court Responding to Modi and Nitish government for Chamki Fever in UP-Bihar

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