फारूक अब्दुल्ला पर केस चलाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कोर्ट ने कहा- सरकार से अलग राय रखना राजद्रोह नहीं 

By अनुराग आनंद | Published: March 3, 2021 01:45 PM2021-03-03T13:45:15+5:302021-03-03T13:54:26+5:30

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि सरकार की राय से अलग विचार व्यक्त करने से कोई देशद्रोही नहीं हो सकता है।

Supreme Court refuses to run case against Farooq Abdullah, court order - keeping separate opinion from government is not treason | फारूक अब्दुल्ला पर केस चलाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कोर्ट ने कहा- सरकार से अलग राय रखना राजद्रोह नहीं 

फारूक अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

Highlightsयाचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया था कि फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली पर विवादास्पद बयान दिया।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अपने इस दावे को साबित नहीं कर पाए।

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के सांसद फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की राय से अलग विचार व्यक्त करना देशद्रोह का अपराध नहीं हो सकता है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण बातें कही है।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ उनकी एक टिप्पणियों को लेकर ये याचिका दायर की गई थी। जम्मू-कश्मीर से जुड़े संविधान के धारा 370 के समाप्त होने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ यह बयान दिया था।

याचिकार्ता कोर्ट में साबित नहीं कर पाए कि फारुख अब्दुल्ला ने देशविरोधी बयान दिया था-

बता दें कि याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया था कि फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली पर विवादास्पद बयान दिया था और चीन की मदद से घाटी में 370 बहाल करने की बात कही थी। इसे देशविरोधी बयान बताते हुए याचिकाकर्ता ने सांसद पर देशद्रोह के मामला को दर्ज करने की अपील की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अपने इस दावे को साबित नहीं कर पाए।

सांसद फारूक अब्दुल्ला के श्रीनगर में उनके आवास पर नजरबंद कर रखा गया था-

श्रीनगर के सांसद फारूक अब्दुल्ला के श्रीनगर में गुपकार रोड स्थित उनके घर में नजरबंद रखा गया था। सरकार ने उनके बंगले को ही एक अस्थाई तौर पर जेल घोषित किया था। 5 अगस्त 2को धारा 370 को रद्द करने के बाद फारूक अब्दुल्ला समेत कई सारे कश्मीर के नेताओं को नजरबंद किया गया था। फारूक अब्दुल्ला को बाद में 13 मार्च, 2020 को रिहा कर दिया गया था।

Web Title: Supreme Court refuses to run case against Farooq Abdullah, court order - keeping separate opinion from government is not treason

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