रोहिंग्या मुसलमानों को भेजा जाएगा म्यांमार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले में दखल से किया इनकार

By भारती द्विवेदी | Published: October 4, 2018 11:17 AM2018-10-04T11:17:42+5:302018-10-04T12:39:46+5:30

वही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि म्यंमार ने सातों की पहचान अपने नागरिक के तौर पर की है। साथ ही वो उन सबको वापस अपने देश में लेने को तैयार है।

Supreme Court refuses to interfere in Centre’s decision to deport 7 Rohingya refugees to Myanmar | रोहिंग्या मुसलमानों को भेजा जाएगा म्यांमार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले में दखल से किया इनकार

रोहिंग्या मुसलमानों को भेजा जाएगा म्यांमार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले में दखल से किया इनकार

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर: सात रोहिंग्या रिफ्यूजी को उनके देश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले में दखल देने से मना कर दिया है। कोर्ट में बुधवार (3 अक्टूबर) को इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर किया गया था। याचिका में सभी सात रोहिंग्या को असम से म्यंमार भेजने के सरकार के फैसले पर पुर्नविचार करने को कहा गया था। कोर्ट में ंकेंद्र के फैसले के खिलाफ वकील प्रशांत भूषण ने अर्जी डाली थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।


वही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि म्यंमार ने सातों की पहचान अपने नागरिक के तौर पर की है। साथ ही वो उन सबको वापस अपने देश में लेने को तैयार है।


गौरतलब है कि असम के बराक घाटी के कछार जिले में सिलचर के डिटेंशन सेंटर में साल 2012 से सात रोहिंग्या रह रहे थे। आज मणिपुर के मोरेह सीमा चौकी पर उन सबको म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को वापस भेजने का पहला मामला होगा।

भारत में रहते हैं 14 हजार रोहिंग्या

अन्य अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनकी म्यांमार नागरिकता की पुष्टि हुई है। भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या लोग भारत में रहते हैं।

हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है। रखाइन राज्य में म्यांमार सेना के कथित अभियान के बाद रोहिंग्या लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भागे थे। संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है। मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू ची और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

English summary :
The Supreme Court has taken an important step on the decision of the Central Government to deport seven Rohingya Refugees to their country. The Supreme Court has refused to interfere in the Center's decision. The petition was filed in the court on Wednesday (October 3) for an immediate hearing on the issue. In the petition, it was asked to reconsider the government's decision to send all seven Rohingya Refugees from Assam to Myanmar. Prosecutor Prashant Bhushan had filed an application against Center's decision in the court, which has been rejected by the apex court.


Web Title: Supreme Court refuses to interfere in Centre’s decision to deport 7 Rohingya refugees to Myanmar

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