CAA पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, केंद्र से चार हफ्ते में मांगा जवाब, जानें 144 याचिकाओं पर सुनवाई की 10 बड़ी बातें
By स्वाति सिंह | Published: January 22, 2020 12:03 PM2020-01-22T12:03:34+5:302020-01-22T13:21:35+5:30
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इन सभी याचिकाओं पर 4 हफ्तों में जवाब देना होगा।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दायर 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की। इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में देश के अलग-अलग हिस्सों नें सीएए के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए लिए केंद्र सरकार को 4 हफ्ते का वक्त दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इन सभी याचिकाओं पर 4 हफ्तों में जवाब देना होगा।
1-संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर 144 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
2-सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि वह केंद्र की पूरी बात सुने कोई एकतरफा आदेश नहीं दे सकते हैं। सभी याचिकाओं को केंद्र के पास पहुंचना जरूरी है।
3- कोर्ट ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता तय करने के लिए वह अपीलों को वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है ।
4-वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और एनपीआर की कवायद फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया ।
5-केंद्र सरकार ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए उसे समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं ।
6-उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह केंद्र का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा ।
7-न्यायालय ने केंद्र को सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया।
8-कोर्ट ने कहा कि सीएए का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने संबंधी आदेश चार हफ्ते बाद ही जारी किया जाएगा
9-सिब्बल ने कहा कि हम कानून पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि इसे दो महीने के लिए निलंबित कर दें।
10-चीफ जस्टिस ने असम के तर्क को अलग रखते हुए कहा कि वहां की स्थिति अलग है। उन्होंने कहा कि हर याचिका सरकार के पास जानी जरूरी है।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक शीतकालीन सत्र 2019 में राज्यसभा द्वारा और लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। इसके पारित होने के बाद से ही पूर्वोत्तर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे है। कई राजनीतिक संगठन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच हैं।