सुप्रीम कोर्ट तैयार, क्या यौन उत्पीड़न मामले में आंतरिक जांच दूसरे राज्य को सौंपे जा सकते हैं

By भाषा | Published: October 9, 2019 05:49 PM2019-10-09T17:49:09+5:302019-10-09T17:49:09+5:30

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक आईपीएस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों (महिला पुलिस अधिकारी और अन्य) को नोटिस जारी किये।

Supreme court ready, can internal investigations in sexual harassment case be handed over to other states | सुप्रीम कोर्ट तैयार, क्या यौन उत्पीड़न मामले में आंतरिक जांच दूसरे राज्य को सौंपे जा सकते हैं

पीठ इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगी।

Highlightsसवाल पर विचार के लिये तमिलनाडु सरकार और अन्य विभागों तथा इससे संबंधित दूसरे लोगों को नोटिस जारी किये हैं। शीर्ष अदालत ने सारा मामला तेलंगाना स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के 28 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी है।

उच्चतम न्यायालय इस सवाल पर विचार करने के लिये तैयार हो गया है कि क्या उच्च न्यायालय आंतरिक शिकायत समिति के पास यौन उत्पीड़न के आरोपों की लंबित जांच और इस घटना के बारे में पुलिस में दर्ज प्राथमिकी किसी अन्य राज्य को स्थानांतरित कर सकते हैं।

शीर्ष अदालत ने इस सवाल पर विचार के लिये तमिलनाडु सरकार और अन्य विभागों तथा इससे संबंधित दूसरे लोगों को नोटिस जारी किये हैं। न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक आईपीएस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों (महिला पुलिस अधिकारी और अन्य) को नोटिस जारी किये।

भारतीय पुलिस सेवा के इस अधिकारी ने कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और समाधान) कानून, 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति द्वारा की जा रही जांच और वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी ‘निष्पक्ष, स्वतंत्र और पक्षपात रहित’ जांच के लिये सारे मामले को तेलंगाना स्थानांतरित करने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यौन उत्पीड़न की शिकायत की जांच की कार्यवाही और प्राथमिकी की जांच स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के अधिकार के मुद्दे पर (महिला पुलिस अधिकारी और अन्य को) नोटिस जारी किया जाता है। शीर्ष अदालत ने सारा मामला तेलंगाना स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के 28 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी है।

पीठ इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगी। पेश मामले में तमिलनाडु में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात 44 वर्षीय महिला अधिकारी ने पिछले साल अगस्त में चेन्नई में तैनात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी।

इस मामले में शिकायत की जांच के लिये आंतरिक शिकायत समिति गठित की गयी थी। बाद में महिला अधिकारी ने आईपीएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आईपीएस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद आंतरिक शिकायत समिति की जांच और प्राथमिकी तेलंगाना में स्थानांतरित कर दी थी।

महिला अधिकारी ने एक हलफनामा दाखिल किया था जिसमें उसने शिकायत समिति की जांच की कार्यवाही और प्राथमिकी केरल या किसी पड़ोसी राज्य या नयी दिल्ली स्थानांतरित करने पर सहमति व्यक्त की थी।

आईपीएस अधिकारी ने उच्च न्यायालय से कहा था कि इस कानून के तहत किसी कार्यवाही को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है और वैसे भी इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने भी न्यायालय से कहा था कि राज्य सरकार इस कार्यवाही को किसी अन्य पड़ोसी राज्य में स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं है। बहरहाल, उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की गंभीरता को देखते हुये इसे तेलंगाना राज्य मे स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। 

Web Title: Supreme court ready, can internal investigations in sexual harassment case be handed over to other states

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