सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, 'कोरोना महामारी में जेल से रिहा किये गये सभी कैदी 15 दिन में करें आत्मसमर्पण'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 24, 2023 02:17 PM2023-03-24T14:17:47+5:302023-03-24T14:22:39+5:30

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कोरोना काल में देश की विभिन्न जेलों से रिहा किये गये सजायाफ्ता या विचाराधीन कैदियों की रिहाई मियाद को खत्म करते हुए उन्हें 15 दिन के भीतर जेलों में वापस लौटने का आदेश दिया है।

Supreme Court orders, 'All convicts and undertrial prisoners released from jail in Corona epidemic should surrender within 15 days' | सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, 'कोरोना महामारी में जेल से रिहा किये गये सभी कैदी 15 दिन में करें आत्मसमर्पण'

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के कारण रिहा किये गये कैदियों की रिहाई मियाद को किया खत्मकोरोना काल में रिहा किये गये दोषी और विचाराधीन कैदियों को 15 दिन में करना होगा सरेंडरकोर्ट ने कहा कि यदि वो बाहर रहना चाहते हैं तो जेल में सरेंडर करके जमानत के लिए करें आवेदन

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश जारी किया कि कोरोना महामारी के मद्देनदर जेलों में भीड़ कम करने के नाम पर रिहा किये गये सभी दोषी और विचाराधीन कैदियों को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करके जेल में वापस जाना होगा। मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि वो सजायाफ्ता या विचाराधीन कैदी, जिन्हें कोरोना महामारी के दौरान उपजी गंभीर आपातकालीन परिस्थितियों में जमानत पर रिहा किया गया था। अब उन सभी को 15 दिन के भीतर आत्मसमर्पण करके जेलों में वापस जाना होगा और अगर वो जेल से बाहर रहना चाहते हैं तो उन्हें जेल में आत्मसमर्पण करने के बाद सक्षम अदालतों के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए।

इसके साथ ही दोनों जजों की बेंच ने अपने आदेश में यह भी कहा, ''कोविड-19 महामारी के दौरान समर्पण के बाद रिहा किए गए सभी दोषी अपनी सजा को निलंबित कराने के लिए सक्षम अदालतों में आवेदन दिया जाना चाहिएष कोरोना काल में उत्पन्न खतरे के कारण मिली कैदियों की छूट 15 दिनों के भीतर खत्म की जाती है और सभी दोषी और सजायाफ्ता जेलों में वापस लौट जाएं।''

मालूम हो कि कोरोना काल में कई राज्यों ने जेलों में बंद दोषी और विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के आधार पर  रिहा किया था। इसमें जिनमें ज्यादातर कैदी गैर-जघन्य अपराधों के लिए जेलों में निरुद्ध थे।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से साल  2019 में प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जेलों में उस वक्त तक 4.78 लाख कैदी अलग-अलग अपराध के आरोप में बंद थे, जो कि जेल की कुल क्षमता से 18.5 फीसदी अधिक थी। इसके साथ ही एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि जेल में बंद कुल क़ैदियों में से 69.05 फीसदी ऐसे कैदी हैं, जिन्हें मामलो में सजा नहीं हुई है और वो बतौर विचाराधीन कैदी देश के विभिन्न जेलों में बंद थे।

उन विचाराधीन क़ैदियों में से 16 फीसदी क़ैदी तो ऐसे थे, जो कम से कम छह महीने या एक साल का समय जेलों में बिता चुके थे। इसी तरह 13 फीसदी विचाराधीन कैदी एक से 2 साल का समय जेलों में बिता चुके थे लेकिन उनके मामले में सुनवाई नहीं पूरी हुई थी। एनसीआरबी के अनुसार देश में जेलों का कैदियों की रखने की क्षमता का औसत दर 118.5 फीसदी था।

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना संक्रमण काल में 27 मई 2020 से 14 दिसंबर 2020 तक देशभर की जेलों में बंद 18157 क़ैदियों और जेल कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण हुआ था।

सीएचआरआई आंकड़ के अनुसार साल 2020 में केवल उत्तर प्रदेश की जेलों में लगभग 7000 कोविड के मामले सामने आए थे। वहीं महराष्ट्र की जेलों में 2752 और असम की जेलों में भी 2496 कोविड संक्रमण के मामले सामने आए थे।

Web Title: Supreme Court orders, 'All convicts and undertrial prisoners released from jail in Corona epidemic should surrender within 15 days'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे