आचार संहिता पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मोदी-शाह के खिलाफ शिकायतों के निपटारे के लिए EC को दिया 6 मई तक का समय

By स्वाति सिंह | Published: May 2, 2019 03:47 PM2019-05-02T15:47:59+5:302019-05-02T15:49:11+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आदर्श आचार संहिता का कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले में कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर मंगलवार को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। 

Supreme Court on the Code of Conduct: EC has given time to May 6 to settle complaints against Modi-Shah | आचार संहिता पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मोदी-शाह के खिलाफ शिकायतों के निपटारे के लिए EC को दिया 6 मई तक का समय

सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की मांग खारिज करते हुए मोदी-शाह के खिलाफ दायर शिकायतों के निपटारे के लिए सोमवार तक समय दिया है।

Highlightsआयोग ने बताया कि उन्होंने अबतक दो मामलों का निपटारा किया है।प्रधानमंत्री और बीजेपी प्रमुख के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की 11 शिकायतों में से दो पर पहले ही निर्णय हो चुका है। 

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह 6 मई तक पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस द्वारा आदर्श आचार संहिता को लेकर दाखिल 9 शिकायतों का निपटारा लें।

सुनवाई के दौरान आयोग ने बताया कि उन्होंने अबतक दो मामलों का निपटारा किया है। बाकी मामलों के लिए आयोग ने कोर्ट से 8 मई तक का समय मांगा।

निर्वाचन आयोग ने न्यायालय से कहा कि प्रधानमंत्री और बीजेपी प्रमुख के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की 11 शिकायतों में से दो पर पहले ही निर्णय हो चुका है। 

लेकिन कोर्ट ने आयोग की मांग खारिज करते हुए कहा 'आपके पास मोदी-शाह के खिलाफ दायर शिकायतों के निपटारे के लिए सोमवार तक पर्याप्त समय है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जारी किया था नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आदर्श आचार संहिता का कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले में कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर मंगलवार को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन दोनों नेताओं ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देकर और ‘‘राजनीतिक प्रचार’’ में सैन्य बलों का उपयोग करके आचार संहिता का उल्लंघन किया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने निर्वाचन आयोग से जवाब मांगने के साथ ही असम से कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव की याचिका गुरुवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दी। 

देव ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ शिकायतों पर निर्वाचन आयोग की कथित निष्क्रियता को ‘पक्षपात’ का लक्षण और मनमाना बताया, जिसकी अनुमति नहीं है क्योंकि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता के लिये नुकसानदेह है। 

पीठ ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग द्वारा याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर “अनिवार्य/उचित आदेश” देने के लिये स्वतंत्र है। ऐसी खबरें हैं कि निर्वाचन आयोग के अधिकारी मंगलवार को लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विभिन्न नेताओं के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर फैसला करने के लिये बैठक करेगा।

 पूर्वाह्न में प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देव की याचिका पर न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायामूर्ति संजीव खन्ना की दूसरी पीठ 10 नंबर अदालत में दो बजे सुनवाई करेगी। बाद में न्यायमूर्ति गुप्ता और न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ ने हालांकि कहा कि वह नई याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी और इसे उचित पीठ देखेगी। इसके परिणामस्वरूप याचिका को एक बार फिर प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश किया गया जिसने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे तय की। 

देव ने अपनी याचिका में मोदी और शाह द्वारा अपनी सभाओं में आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन की अनेक घटनाओं को सूचीबद्ध किया है और कहा कि मोदी ने एक अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में अपने भाषण में पहली बार संहिता का उल्लंघन किया था जहां उन्होंने कथित रूप से भगवा आतंकवाद का मुद्दा उठाया था। आरोप लगाया गया कि भाजपा नेता पिछले चार हफ्तों से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं और निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई करीब 40 शिकायतों पर कोई फैसला नहीं किया। 

सुष्मिता देव ने आरोप लगाया है कि आम चुनाव की घोषणा होने की तारीख 10 मार्च से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष ने विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों और राज्यों में जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और चुनाव कराने के नियमों तथा प्रक्रिया का उल्लंघन किया है। 

उन्होंने आरोप लगाया है कि ये जगजाहिर है कि वे नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं, निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद राजनीतिक प्रचार के लिये सशस्त्र बलों का बार-बार जिक्र कर रहे हैं। मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने का मुद्दा भी उठाया था। 

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