हिमाचल हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं आया समझ, भाषा देख कहा- क्या ये लैटिन में है?
By विनीत कुमार | Published: January 18, 2022 08:56 AM2022-01-18T08:56:33+5:302022-01-18T08:56:33+5:30
हिमाचल हाई कोर्ट के एक फैसले की कॉपी को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे वापस भेजकर फिर से लिखने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की कॉपी की भाषा देख ये भी कहा क्या ये लैटिन में लिखा है।
नई दिल्ली: कोर्ट के आदेश या कानूनी बहसों में इस्तेमाल होने वाली शब्दावली और उसके मायने को समझना अक्सर आम लोगों के लिए काफी मुश्किल होता है। हालांकि अगर कोर्ट की भाषा को इस विषय के विशेषज्ञ या दूसरी कोर्ट ही न समझ पाए तो क्या कहेंगे। ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से जुड़ा सामने आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाई कोर्ट की ओर से एक मामले पर दिए आदेश को लेकर अचरज जताते हुए कहा कि उसे संभवत: फिर से इसे ठीक तरीके से लिखने के लिए वापस भेजना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को हुई सुनवाई में आदेश को वापस हाई कोर्ट के पास भेजने और उसे फिर से लिखने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने जब कहा- ये फैसला क्या लैटिन भाषा में है?
मामले में दो जजों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ ने अपील करने वाले वकील निधेश गुप्ता से पूछा कि हाईकोर्ट क्या कहना चाहता है। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा- हम इस फैसले को कैसे समझेंगे? क्या ये लैटिन में है?
इस पर सीनियर अधिवक्ता निधेश गुप्ता ने कहा, 'हम एक शब्द भी नहीं समझ पा रहे हैं।' इस पर कोर्ट ने आदेश को फिर से लिखने के लिए वापस हाई कोर्ट भेजने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले की आगे की सुनवाई अब 24 जनवरी को की जाएगी।
#SupremeCourt hears an appeal against a Himachal Pradesh HC verdict
— Bar & Bench (@barandbench) January 17, 2022
KM Joseph J.: How do we understand this judgment? Is this in Latin?
Sr Adv Nidhesh Gupta: we are unable to understand a word
SC: We may have to send it back to the HC for it to be re-written
Matter adjourned pic.twitter.com/zeiUCW7djw
सुप्रीम कोर्ट में पहले भी आए हैं ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की भाषा को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट पर नाराजगी जताई है। इससे पहले मार्च-2021 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। उससे पहले 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार और मकान मालिक के बीच के एक विवाद पर हिमाचल हाई कोर्ट को फैसले को फिर से लिखने को कहा था।
उस मामले में किरायेदार की वकील रहीं एश्वर्या भाटी ने तब कोर्ट में कहा था कि उन्हें हाई कोर्ट के आदेश को समझने के लिए अंग्रेजी के एक प्रोफेसर को रखना पड़ेगा। वहीं, एक अखबार से बात करते हुए उन्होंने बताया था कि कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश की कॉपी में से एक पन्ना तो बिना किसी फुल स्टॉप के था।