सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र को दोटूक, कहा- "हमारे द्वारा घोषित हर कानून बाध्यकारी, कॉलेजियम का पालन करना होगा"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 8, 2022 07:03 PM2022-12-08T19:03:44+5:302022-12-08T19:18:13+5:30

कॉलेजियम सिस्टम को लेकर चल रही खिंचतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित किये गये सभी कानून बाध्यकारी हैं और कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन करना अनिवार्य है।

Supreme Court on collegium system, says, "Every law declared by us is binding, collegium has to be followed" | सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र को दोटूक, कहा- "हमारे द्वारा घोषित हर कानून बाध्यकारी, कॉलेजियम का पालन करना होगा"

फाइल फोटो

Highlightsकॉलेजियम सिस्टम पर सख्त सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दोटूक कहा हमारे सारे फैसले बाध्यकारी हैं केंद्र सरकार कॉलेजियम सिस्टम का पालन करे और सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा के आधार पर कार्य करेवहीं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम की आलोचना करते हुए इसे अपारदर्शी बताया था

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायिक सेवाओं (सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट) में जजों की नियुक्ति पर केंद्र सरकार को दोटूक कह दिया है कि उसके लिए कॉलेजियम सिस्टम बाध्यकारी है और उसका पालन हर हाल में होना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम सिस्टम को लेकर चल रही टीका-टिप्पणी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित किये गये सभी कानून बाध्यकारी हैं और कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन करना अनिवार्य है।

 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह तीखी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से किये जा रहे विलंब को लेकर सुनवाई करते हुई। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित किया गया कोई भी कानून सभी के लिए "बाध्यकारी" है और कॉलेजियम सिस्टम का पालन किया जाना चाहिए।

बेंच में शामिल जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि यह उम्मीद है कि अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी केंद्र सरकार को दें कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानूनी सिद्धांतों का पालन करें।

बीते कुछ समय से केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच में कॉलेजियम सिस्टम को लेकर तीखी नोकझोंक हो चुकी है। यह मुद्दा तब से विवाद के केंद्र में आ गया, जब बीते 25 नवंबर को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के लिए ‘एलियन’ है। उन्होंने इस सिस्टम को कटघरे में खड़ा करते हुए कॉलेजियम सिस्टम को अपारदर्शी बताया था।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 20 नामों की लिस्ट सरकार द्वारा वापस भेज दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि आखिर केंद्र के साथ चल रही लड़ाई किस तरह से थमेगी। इसके साथ ही सभी जजों ने एक स्वर में कहा कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम है, तब तक इसे बरकरार रखा जाएगा। हमें इसे लागू करना है। अगर सरकार इसकी जगह दूसरा कानून लाना चाहते हैं तो उन्हें कोई रोक नहीं रहा है।

केंद्र के रवैये से नाखुशी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों की नियुक्ति न होने से रोजमर्रा के कार्य बेहद बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसलिए केंद्र को इस विषय में गंभीरता दिखाते हुए जल्द फैसला लेते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर समाज का एक वर्ग यह तय करने लगे कि किस कानून का पालन करना है और किसका पालन नहीं करना है, तो चीजें बिगड़ जाएंगी. जब आप एक कानून बनाते हैं, तो आप उम्मीद करते हैं कि अदालतें इसे तब तक लागू करेंगी जब तक कि कानून को रद्द नहीं कर दिया जाता।

Web Title: Supreme Court on collegium system, says, "Every law declared by us is binding, collegium has to be followed"

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